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उत्‍तराखंड की देख-सुन नहीं सकने वाली लड़की ने यूएन की प्रतोयोगिता में पाया दूसरा स्‍थान

यूएन की प्रतोयोगिता

देहरादून: उत्‍तराखंड के देहरादून की 16 वर्षीय आस्‍था पटवाल ने एक नया कीर्तिमान हासिल किया है। वह न देख सकती हैं और न ही सुन सकती हैं। हाल ही में आस्‍था पटवाल को संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक प्रतियोगिता में पूरी दुनिया में दूसरा स्‍थान मिला हैं। आस्‍था ने जनगणना में बधिर-नेत्रहीन दिव्‍यांगों की गिनती जनगणना में न करने का विरोध करते हुए यह मुद्दा जोरशोर से उठाया था।

‘यूएन वर्ल्‍ड डेटा फोरम कंपटीशन’ में लिया था हिस्सा

इस प्रतियोगिता का नाम ‘यूएन वर्ल्‍ड डेटा फोरम कंपटीशन’ था इसका विषय था, ‘डेटा (आंकड़े) क्‍यों जरूरी है’। पूरी दुनिया के 15 से 24 साल के युवाओं ने इस प्रतियोगिता में हिस्‍सा लिया था। इस प्रतियोगिता में पहले ओर तीसरे स्‍थान पर पुर्तगाल के युवा रहे। आस्‍था ने एक वीडियो के जरिए इसमें हिस्‍सा लिया था और बताया था कि दो दिव्‍यांगताओं से ग्रस्‍त लोगों को भी जनता का हिस्‍सा मानना क्‍यों जरूरी हैं।

‘किसी को पता नहीं हम हैं भी’

सांकेतिक भाषा या इशारों के जरिए इस वीडियो में आस्‍था ने कहा था, “मैं आप लोगों के लिए अदृश्‍य हूं।” एक मिनट लंबे इस वीडियो में आस्‍था का संदेश हैं, “हमें जनगणना में शुमार नहीं किया जाता। किसी को भी पता नहीं है कि दुनिया में हमारे जैसे कितने लोग हैं। हमें जनगणना में शामिल कीजिए और दूसरों को प्रेरित करने का मौका दीजिये।”

“साथ लें तो बदल सकते हैं दुनिया”

आस्‍था ने अपने संदेश में कहा, “आजकल, कोरोना महामारी ने हमारे सामने एक और बाधा खड़ी की हैं। हम जैसे लोगों के लिए डेटा या आंकड़े हमारे भविष्‍य की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाते है। हम छोटी सी चिंगारी जरूर हैं लेकिन पूरे देश को रौशन करने की क्षमता रखते है। हम पर भरोसा करके तो देखिए. एक बेहतर दुनिया के लिए हमें अपने साथ जोड़‍िए तो सही।”

बड़े होकर टीचर बनना चाहती हैं आस्‍था

आस्‍था के इस वीडियो को सेंस इंडिया नाम के अहमदाबाद के एक NGO ने बनाया और सपोर्ट किया हैं। आस्‍था ने कहा, “जनगणना के जरिए हम दुनिया को बताना चाहते हैं कि हम भी इसी दुनिया का हिस्‍सा है। मैं बड़ी होकर टीचर बनना चाहती हूं और अपने जैसों की मदद करना चाहती हूं।”

भारत से हर साल कहां गायब हो रहीं नवजात बच्चियां?, यूएन की रिपोर्ट आपकी आंखे खोल देगी..

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