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इस बार भाईयों की कलाई पर सजेगी स्वदेशी राखियां, भारत के करोड़ों व्यापारियों ने किया चीन की राखियों का ऑर्डर रद्द

rakhiyan इस बार भाईयों की कलाई पर सजेगी स्वदेशी राखियां, भारत के करोड़ों व्यापारियों ने किया चीन की राखियों का ऑर्डर रद्द

लद्दाख सीमा पर चीन और भारत के बीच हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे वहीं चीन के भी कई सैनिक हताहत हुए थे।

होशंगाबाद। लद्दाख सीमा पर चीन और भारत के बीच हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे वहीं चीन के भी कई सैनिक हताहत हुए थे। उसके बाद से ही पूरे भारत में चीन का भरपूर विरोध हो रहा है। विरोध के चलते ही भारत से चीन के 59 ऐप बैन कर दिए गए, और इस बार भारत में चीन की राखियों पर इस विरोध का असर पड़ा है। चीन को भारत में रेशम की डोर से बनी राखियों से बड़ा झटका लगने वाला है। भारत के 7 करोड़ व्यापारियों ने चीन की राखी न बचने का फैसला लिया है। इससे चीन को बड़ा झटका लगेगा। इस कदम से देश में लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत को भी बल मिलेगा।

बता दें कि देश के खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट ने चीन को करारा जवाब देने के लिए भारतीय सामान-हमारा अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत देश में चीन की राखियां नहीं बेची जाएगी। कैट से जुड़े करोडों व्यापारी इस बार स्वदेशी राखियां बेचेंगे। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि चीन से राखी लेने वाले देशभर के व्यापारियों  ने करीब एक हजार करोड़ के ऑर्डर को रद्द् किया है। दिल्ली के बड़े कारोबारियों ने भी चीन की राखियों का ऑर्डर रद्द कर दिया है। ये सभी व्यापारी चीन की 1 हजार करोड़ राखियां बेचते थे।

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वहीं भारतीय सामान-हमारा सम्मान अभियान को बल देने के लिए मध्य प्रदेश के  होशंगाबाद जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भाऊ साहब भुस्कुटे न्यास लाखों स्वदेशी राखियां बना रहे हैं। न्यास के प्रबंधक धर्मेद्र गुर्जर का कहना है कि देश में सैकड़ों राखियां बनाने से रोजगार मिल रहा है। देश में रेशम और बांस के धागो से बहुत ही खूबसूरत राखियां बनाई जा रही है। होशंगाबाद जिले के 28 गांवों में इन राखियों का बहुत ही कम कीमत में वितरण किया जाएगा। न्यास से जुड़े शिक्षा संस्थानों में अध्ययनरत बहनें स्वदेशी राखियां ही अपने भाइयों की कलाई पर सजाएंगी।

जनजागरूकता अभियान चला रहे

प्रदेश सचिव व भोपाल कैट के प्रवक्ता विवेक साहू ने कहा कि कैट के माध्यम से हम स्वदेशी राखियों की बिक्री करेंगे। इस बार चीनी राखियां नहीं बेचेंगे। संगठन से जुड़े सात करोड़ व्यापारियों ने हमें सहमति प्रदान की है। इससे देश में एक हजार करोड़ से अधिक का लाभ हमारे आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिलेगा। लाखों लोगों को इससे रोजगार प्राप्त होगा।

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