भगवान शिव को सभी देवो में सबसे बड़ा माना जाता है। सावन का पावन महीना भी 6 जुलाई से शुरू हो जाएगा और 3 अगस्त तक चलेगा। इस बार के सावन में खास बात ये है कि, सावन की शुरूआत भी सोमवार से हो रही है और अंत भी सोमवार से हो रहा है। भगवान शिव के भक्तों के लिए ये माह बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए पूरे महीने भोले के भक्त मन्नतों से भरी कांवड़ यात्रा पैदल ही करते हैं।
आज हम आपके लिए लेकर आये हैं। भगवान शिव के वास स्थान कैलाश पर्वत से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य जिन्हें आज तक न तो कोई जान सका और न ही कोई समझ सका।
हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है।
कैलाश पर्वत पर कभी किसी के नहीं चढ़ पाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी निवास करते हैं और इसीलिए कोई जीवित इंसान वहां ऊपर नहीं पहुंच सकता। मरने के बाद या वह जिसने कभी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है। ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। चूंकि बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देना है, इसीलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया।
कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र माना जाता है। दरअसल, रूस के वैज्ञानिकों की स्टडी के मुताबिक, कैलाश मानव निर्मित पिरामिड हो सकता है, जिसका निर्माण किसी दैवीय शक्ति वाले व्यक्ति ने किया होगा।
कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र मानने की कई वजह है. माना जाता है कि कैलाश पर्वत में पृथ्वी का भौगोलिक केंद्र है। दूसरा, यहां आसमान और धरती का मिलन होता है. तीसरा, यहां चारों दिशाओं का केंद्र बिंदु है। चौथा, ईश्वर और उनकी बनाई सृष्टि के बीच संवाद का केंद्र बिंदु होना है।माना जाता है कि जब कैलाश पर्वत की बर्फ पिघलती है, तो पूरे क्षेत्र में डमरू की आवाज सुनाई देती है। ये भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर साक्षात शिव मौजूद हैं।
कैलाश के दक्षिण में सूर्य जैसी संरचना वाला ब्रह्म ताल है, जिसके दर्शन करने दुनियाभर से श्रद्धालु यहां आते हैं। वहीं, इससे एक किमी. की दूरी पर एक राक्षस ताल है, जहां कोई नहीं जाता है।कहा जाता है कि कैलाश पर्वत 6 पर्वत श्रंखलाओं के बीच कमल के फूल जैसा दिखता है।
हिमालयवासियों का कहना है कि हिमालय पर यति मानव रहता है। कोई इसे भूरा भालू कहता है, कोई जंगली मानव तो कोई हिम मानव। यह धारणा प्रचलित है कि यह लोगों को मारकर खा जाता है। कुछ वैज्ञानिक इसे निंडरथल मानव मानते हैं। विश्वभर में करीब 30 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि हिमालय के बर्फीले इलाकों में हिम मानव मौजूद हैं।
दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि हो सकता है कि ऐसा यहां के चुम्बकीय बल के कारण होता हो। यहां का चुम्बकीय बल आसमान से मिलकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।
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इस तरह कैलाश पर्वत रहस्यों से भरा हुआ है। जिसके बारे में जानने के लिए कई लोगों ने कोशिश की लेकिन वो नाकाम रहे। इन सभी चीजों को देखते हुए भारत सरकार ने कैलाश पर्वत पर किसी के भी जानें पर रोक लगा दी है।