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दुनिया के सबसे अमीर भगवान तिरूपति बाला जी से जुड़े ये रहस्य नहीं जानते होंगे आप?

bala ji 2 दुनिया के सबसे अमीर भगवान तिरूपति बाला जी से जुड़े ये रहस्य नहीं जानते होंगे आप?

भगवान तिरूपति बाला जी महाराज दुनिया के एकमाज्ञ ऐसे भगवान हैं। जिन्हें भक्तों द्वारा सबसे ज्यादा चढ़ावा चढ़ाया जाता है। और हर साल करोड़ों की संख्या में भगवान बाला जी के दर्शन के करने के लिए उनके भक्त तिरूपति बाला जी मंदिर पहुंचते हैं।आपको बता दें, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे अपना निवास बनाया था। तिरुपति बालाजी मंदिर में भक्त धन ही नहीं बाल भी अर्पित कर अपनी भक्ति का प्रदर्शन करते हैं। भगवान तिरुपति बालाजी को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है।
तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियां शेषनाग के सात फन मानी गईं हैं और यही कारण है कि इसका नाम सप्तगिरि कहा गया है। श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की 7वीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से भी जाना जाता है। यहां भक्त अपनी इच्छा से भगवान के सामने हंडी में अपना दान रखते हैं।

bala ji दुनिया के सबसे अमीर भगवान तिरूपति बाला जी से जुड़े ये रहस्य नहीं जानते होंगे आप?
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तिरुपति मंदिर में सबसे ज्यादा दान चढ़ता है लेकिन ये मंदिर कर्जदार है। भगवान बाला जी से जुड़े हुए कई सारे ऐसे रहस्य हैं। जिनके बारे में ाज हम आपको बताने जा रहे हैं।

बाला जी की मर्ति पर कहां से आये असली बाल?
मंदिर मे वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे हुए बाल असली है और ये कभी भी उलझते नही हैं और हमेशा मुलायम रहतें है, लोगों का मानना है की ऐसा इसलिए है क्योंकि यहाँ पे खुद भगवान वीराजते हैं।

मंदिर की दीवर दी गई थी 12 लोगों को फांसी
मंदिर से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि, 18 शताब्दी में मंदिर की दिवार पर ही कुछ लोगों को फांसी दी गयी थी तबसे खुद वेंकटेश्वर स्वामी जी मंदिर में प्रकट होते रहते हैं, इस मंदिर को पूरे 12 वर्षों के लिए बंद कर दिया गया था, क्योंकि उस वक्त वहाँ के राजा ने कुल१२ लोगो को मौत की सज़ा दिया और उन्हें मंदिर के गेट पे लटका दिया।

बाला जी के सिर पर कैसे लगे निशान?
मंदिर के मुख्यद्वार के दाहिनी ओर और बालाजी के सिर पर एक निशान है जो कथाओं के अनुसार अनंताळवारजी के मारने से बने थे।

मंदिर के निकट रहस्य़ से भरा गांव
बालाजी के मंदिर से करीब 23 किलोमीटर दूर एक गांव है। इस गांव में कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। खास बात ये है कि इस गांव से ही भगवान को फूल और दूध-दही,घी-मक्खन आदि जो भी प्रसाद का सामान हो जाता है। कहीं अन्यंत्र से आई कोई भी चीज भगवान को नहीं चढ़ाई जाती।

मूर्ती से आती है समुद्र की आवाज
अगर आप मंदिर में जाते हैं तो भगवान बालाजी की मूर्ति पे अगर कान लगा के सुना जाए तो आप आश्चर्य-चकित हो जाएँगे क्योंकि जब आप कान लगाएँगे तो आपको समुद्र की आवाज़ सुनाई देगी और इसी कारण वश हमेशा बालाजी की मूर्ति हमेशा ही नम रहती हैं, आपको यहाँ एक अजब सी शान्ति प्रतीत होगी।

मंदिर में क्यों रखी गई है छड़ी?
मंदिर मे मुख्य द्वार के दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। इस छड़ी के बारे मे कहा जाता है की इस छड़ी से बालाजी के बाल रूप मे पिटाई की गई थी जिस कारण-वश उनकी ठोड़ी पे चोट लग गई तबसे आज तक उनके ठोड़ी पे हमेशा से चंदन का लेप लगाया जाता है, ताकि उनका घाव भर जाए।

बाला जी पीठ क्यों रहती है गीली?
बालाजी की पीठ कभी सूखती नहीं। उनकी पीठ को चाहे कितनी बार भी पोंछ दिया जाए वह गीली ही रहती है। इतना ही नहीं उनकी पीठ पर कान लगाने से समुद्र घोष सुनाई देता है।

बाला जी के साथ रहती हैं मां लक्ष्मी
बालाजी की छाती पर मां लक्ष्मी का निवास होता है। हर गुरुवार को निजरूप दर्शन के समय जब भगवान का चंदन से श्रृंगारक किया जाता है तो उनकी छाती पर मां लक्ष्मी की छवि नजर आती है।

अखंड ज्योति
बालाजी के इस मंदिर मे एक दिया हमेशा जलता रहता है, इसमें ना कभी तेल डाला जाता ना ही घी, सोचने और आश्चर्य करने वाली बात ये है की कोई भी नहीं जानता है कि यह दीया कब और किसने जलाया था, क्योंकि ये दीया वर्षों से जलता ही आ रहा है।

बाला जी की मूर्ति बदलती है दिशाएं
अगर आप दर्शन करने के लिए बालाजी के मंदिर मे जाएँगे तो आश्चर्य मे पड़ जाएँगे क्योंकि जब आप बालाजी के मूर्ति को गर्भ-गृह से देखेंगे तो भगवान की मूर्ति मंदिर के गर्भ-गृह के मध्य मे स्थित पाएंगे, लेकिन जब आप इसे बाहर आकर देखेंगे तो पाएँगे की मूर्ति मंदिर के दाईं और स्थित है।

क्यों नही चटकती बाला जी की मूर्ति?
भगवान बालाजी की प्रतिमा पर एक खास तरह का पचाई कपूर लगाया जाता है, अगर इसे किसी भी पत्थर पर चढ़ाया जाता हैं तो वो कुछ समय के बाद ही चटक जाता है किन्तु भगवान की प्रतिमा को कुछ नहीं होता है।

दिखती है मां लक्ष्मी की छाया
प्रत्येक गुरुवार के दिन तिरुपति बालाजी को पूर्ण रूप से पूरा का पूरा चंदन का लेप लगाया जाता है और जब उसे हटाया जाता है तब वहाँ खुद-ब-खुद ही माता लक्ष्मी की प्रतिमा उभर आती हैं ये आज तक नही पता चल पाया हैं ऐसा क्यों होता हैं और भगवान तिरुपति बालाजी को प्रतिदिन नीचे धोती और उपर साड़ी से सजाया जाता है।

कैसे बसा वैकुंड धाम?
नदी के तट पर विष्णु ने श्रीनिवास भगवान के रुप में जन्म लिया था। पुराणों के अनुसार वेंकटम पर्वत को विष्णु के वाहन गरुड़ द्वारा भूमि पर लाया गया था भविष्यपुराणानुसार विष्णु जब अपने शयनकक्ष में सो रहे थे तो महर्षि भृगु ने उनकी छाती पर जोर से प्रहार किया था। इस पर माता लक्ष्मी जी को बहुत दुख हुआ और उनके दुखी हो कर वहां से चले जाने पर भगवान विष्णु को बहुत दु:ख हुआ और वे तिरुमाला पर्वत पर निवास करने लगे। तिरुपति का सम्पूर्ण क्षेत्र भगवान विष्णु को वैकुंठ धाम के बाद सबसे ज्यादा प्रिय है।

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तो देखा आपने बाला जी महाराज अपने अंदर कितने रहस्य समेटे हुए हैं। अगर आपको भी कभी तिरूपति बाला के दर्शन करने का मौका मिले तो इन रहस्यों को जानने की कोशिश जरूर करना।

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