नोएडा। पूरे देश में बुखार को कहर जारी है और इसके इलाज की बात करें तो डाक्टरों के अनुसार इससे बचाव ही इसका इलाज है। एलोपैथिक के अलावा कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इस बीमारी के लिए हर्बल इलाज का दावा किया है। इन हर्बल उपचारों का उपयोग करके न केवल डेंगू को रोका जा सकता है, बल्कि बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की मदद भी की जा सकती है।
पेंग्विनिल वटी का उपयोग, पपीते के पत्तों के रस और गिलोय के तने को वेक्टर जनित रोग डेंगू को कम करने में और प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाने व रोगी को ठीक करने के लिए किया जाता है। डेंगू से बचाव के लिए निम्नलिखित तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं-
- डेंगू से बचाव के लिए घरों में कहीं भी पानी जमा नहीं होने दिया जाना चाहिए।
- लौंग, काली मिर्च और तुलसी के पत्तों का रस दिन में दो बार लेने से डेंगू वायरस से लड़ने में व्यक्ति को मजबूत रखने में मदद मिलती है।
- पंचकर्म और एलोपैथिक क्रिटिकल केयर को मिलाकर एकीकृत चिकित्सा को अपनाने से भी इसकी रोकथाम की जा सकती है।
- अगर प्लेटलेट्स की संख्या एक निश्चित स्तर तक कम हो तो डेंगू के मामलों में एलोपैथिक उपचार केवल एक अस्थाई तरीका है, मरीज को स्थाई तौर पर राहत पाने के लिए विशेष सावधानी बरतने एवं खानपान पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है।
- गाय के दूध, तेल और शहद से बनी हर्बल दवा के सेवन के दस मिनट में परिणाम दिखना शुरू हो जाता है, रोगी में आंतरिक रक्तस्राव बंद हो जाता है और 24 घंटों के भीतर रक्त प्लेटलेट्स की गिनती बढ़ने लगती है।