नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों के खुलासे का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। एक आरटीआई अर्जी पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की आपत्तियों को सीआईसी ने ‘सही नहीं ’ ठहराते हुए इस संबंध में एक आदेश जारी किया है।
सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत यह अर्जी भारतीय वन सेवा के 2002 बैच के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में पीएमओ में दी थी और केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ जून 2014 से लेकर अर्जी देने की तारीख तक मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी थी। पीएमओ ने अक्टूबर 2017 में अपने जवाब में कहा था कि यह सूचना ‘व्यापक और अस्पष्ट’ हैं तथा उसने ऐसी सूचना साझा करने से इनकार करने संबंधी सीआईसी के इससे पहले के एक आदेश का भी हवाला दिया।
इसके खिलाफ चतुर्वेदी ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का रूख किया, जिसने पिछले साल 16 अक्टूबर को अपना आदेश जारी कर कहा कि ‘प्रतिवादी (पीएमओ) ने आवेदक को सही सूचना और विशिष्ट जवाब/सूचना नहीं दी।’ आयोग ने पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) को 15 दिन के अंदर सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। सीआईसी के आदेश की प्रतिक्रिया में पीएमओ ने आवेदक को अपना जवाब तो दिया, लेकिन सूचना देने से इनकार करने के लिए आरटीआई अधिनियम की धारा 7 (9) का उल्लेख किया।
पीएमओ ने कहा कि उसे केंद्रीय मंत्रियों और भारत सरकार के उच्च पदस्थ पदाधिकारियों के खिलाफ कई शिकायतें मिलती हैं और संभव है कि वे लोग (अधिकारी) कार्यालय के विभिन्न खंडों एवं इकाइयों में भी मौजूद हो सकते हैं, इसलिए इसके खुलासे से संसाधनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसके बाद, चतुर्वेदी ने सीआईसी के 16 अक्टूबर के आदेश के अनुपालन के साथ आरटीआई अधिनियम की धारा 18 के तहत सीआईसी में शिकायत दायर की।
आयोग को दी गई अपनी दलील में उन्होंने कहा था कि पीएमओ आरटीआई अधिनियम की धारा 7 (9) के तहत सूचना देने से इनकार नहीं कर सकता। सूचना देने से इनकार सिर्फ इस अधिनियम की धारा 8 (1) के तहत ही किया जा सकता है। इसके बाद शिकायत पर 23 अप्रैल और 17 जून को सुनवाई हुई। एक जुलाई के आदेश में कहा गया, ‘आयोग ने मामले में अपीलकर्ता की इस दलील पर गौर किया है कि जो सूचना मांगी गई है उसके अनुपालन से संसाधनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। प्रतिवादी को उस रूप में सूचना नहीं दी जा सकती है, जैसी उसने मांगी है। हालांकि, उसे सूचना देने से इनकार करने का अधिकार नहीं है।’
मुख्य सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने अपने आदेश में कहा कि इसलिए आरटीआई अर्जी के जवाब में प्रतिवादी (पीएमओ) द्वारा दिया गया जवाब ‘सही नहीं’ है।’ इस तरह से शिकायतों के खुलासे का मार्ग प्रशस्त हो गया है। चतुर्वेदी ने विदेशों से भारत लाए गए कालाधन का भी ब्यौरा भी जानना चाहा था लेकिन पीएमओ ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि सरकार ने एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित की है और इसकी जांच प्रक्रिया जारी है। सीआईसी के आदेश में कहा गया है कि आयोग प्रतिवादी के इस कथन से सहमत है कि चूंकि एसआईटी गठित की जा चुकी है और जांच चल रही है, ऐसे में सरकार द्वारा की गई सभी कार्रवाइयों के ब्यौरे के खुलासे से इस वक्त जांच की पूरी प्रक्रिया या अभियोजन प्रभावित हो सकता है।
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