बीजिंग। अमेरिका के साथ दिन प्रतिदिन भारत के रिश्तों में आती मिठास को चीन हजम नहीं कर पा रहा है। उसे इन दिनों भारत-अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकियां रास नहीं आ रही है। इस बात की पुष्टि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख से सामने आई है।
अखबार भारत और अमेरिका के निकटतम संबंधों के हवाले से लिखता है कि भारत उसे रोककर’ या एक पक्ष को दूसरे के खिलाफ खड़ा करके आगे नहीं बढ़ सकता। अखबार जहां भारतीय कूटनीति और विदेशनीति की तारीफ करता है, वहीं यह भी साफ संकेत करता है कि ‘चीन के साथ कई पहलुओं पर प्रतिद्वंद्विता के बावजूद भारत जानता है कि उसका बड़ा सपना चीन को भला बुरा कहकर या उसे रोककर हकीकत में नहीं बदल सकता। इसके बजाय, उन्हें अपने हित के लिए सहयोग को विस्तार देना चाहिए। चीन का यह सरकारी पत्र लिखता है कि भारत के लिए चीन एक प्रतिद्वंद्वी से ज्यादा सहयोगी है।
इसमें यह भी लिखा गया है कि अमेरिका चीन के उदय को संतुलित करने के लिए भारत का उपयोग कर सकता है। लेकिन उसे इसमें कोई सफलता मिलने वाली नहीं है। क्यों कि भारत अपने मूल सिद्धांतों- स्वतंत्रता एवं गुट निरपेक्षता से दूर जाने वाला तो बिल्कुल भी नहीं है।