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कारगिल योद्धा को रुखसत करेगी सरकार..?, NRC में नहीं है पूर्व सैनिक का नाम

कारगिल युद्ध कारगिल योद्धा को रुखसत करेगी सरकार..?, NRC में नहीं है पूर्व सैनिक का नाम

कारगिल युद्ध में लड़ने वाले पूर्व  सैनिक सादुल्लाह अहमद ने अपने देश के प्रति जज्बे को याद करते हुए फख्र से कहा कि मेरा जज्बा देश के लिए इतना बुलंद था कि कारगिल युद्ध का सायरन सुनते ही सबसे पहले बेस में,मैं ही पहुंचा था। लेकिन दुख की बात है कि सरकार ने इस सैनिक के लिए नागरिकता को लेकर संकट खड़ा कर दिया हैा आपको बता दें कि पूर्व सैनिक का नाम असम के नागरिकता रजिस्टर में ना होने की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहै । इस सिलसिले पूर्व सैनिक को सुप्रीम कोर्ट की शरण मे जाना पड़ा है।

 

कारगिल योद्धा को रुखसत करेगी सरकार..?, NRC में नहीं है पूर्व सैनिक का नाम
 पूर्व  सैनिक सादुल्लाह अहमद

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गौरतलब है कि सादुल्लाह अहमद ही अकेले नही हैं, इनके अलावा भी कई पूर्व सैनिक हैं। ऐसा ही एक नाम गुवाहाटी में रहने वाले अजमल हक है जो फौज में 30 साल सेवा दे चुके हैं।अजमल हक बताते हैं, मैं कम से कम 6 पूर्व सैनिकों को जानता हूं। एक तो वर्तमान में फौज में हैं जिनको या तो विदेशी बताकर नोटिस भेजा गया है या संदिग्ध वोटर (डी वोटर) की लिस्ट रखा है।अजमल हक कहते हैं कि 7 वो हैं जिन्हें वह जानते हैं। पूरे राज्य में तो ऐसे बहुत सारे सैनिक और पूर्व सैनिक होंगे जिन्हें भारतीय नागरिकता साबित करने को कहा गया होगा।

नागरिकता साबित करने के नोटिस को असम पुलिस प्रमुख मुकेश सहाय गलत बताया था

हक ये सब कहते हुए उत्तेजित हो जाते हैं और बताते हैं कि उन्होंने बेटे को भी फौज में भेजने की तैयारी कर ली है। उनका बेटा आजकल राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज देहरादून में पढ़ रहा है। वह बताते हैं कि उनके बेटा-बेटी का नाम भी ( राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) NRC  में शामिल  नही है।अजमल हक एनआरसी का नोटिस और दूसरे कागजात दिखाते हुए कहते हैं कि “हमने देश के लिए अपनी जवानी के तीस साल दिए है। लेकिन आज हमारे साथ ऐसा हो रहा है जिससे बहुत दुख होता है।हक के विदेशी होने और नागरिकता साबित करने के नोटिस को असम पुलिस प्रमुख मुकेश सहाय ने खुद गलत बताया था। और कहा था कि ये पहचान में हुई भूल का नतीजा है।

बता दें कि मुख्यमंत्री ने उक्त मामले की जांच के निर्देश भी दिए थे। और कहा था कि मामले में जिम्मेदारी तय हो।लेकिन फिर भी नागरिकता के मामले पर पूर्व जूनियर कमीशन्ड ऑफिसर अजमल हक की परेशानी का कोई समाधान नहीं हो पाया है।सैनिकों का कहना है कि भर्ती के दौरान फौज उनके बारे में गहरी छानबीन करती है। तो अब उनकी नागरिकता पर किसी तरह का कोई शक क्यों पैदा किया जा रहा है?

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पूर्व कैप्टन सनाउल्लाह कहते हैं, “जब हमारी भर्ती होती है तो उस समय बहुत गहन छानबीन होती है। नागरिकता सर्टिफिकेट और दूसरे दस्तावेज़ मांगे जाते हैं। सेना उसे राज्य प्रशासन को भेजकर उसका रीवैरिफिकेशन करवाती है। ऐसे में कोई सवाल तो उठना ही नही चाहिए।इन सैनिकों ने अपनी नागरिकता पर उठाए गए सवाल को लेकर राष्ट्रपति कोप्र भेजा है। और मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है।

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महेश कुमार यदुवंशी

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