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राजस्थानः सीहोर जिले के जंगलों में बाघों की संख्या और जीवन

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राजस्थानः देश में बाघों की में कमी को लेकर सरकार और कई स्वयंसेवी संगठन इसके लिए चिंतित होकर काम करते हैं। और संरक्षण की दिशा में कदम उठाते हैं। बाघों की  संख्या में कमी  काफी समय से चिंता का विषय  है। कई बार तो जंगल में रहने वाले बाघों के लिए उनकी वही दुनिया खतरनाक साबित होती है।

 

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राजस्थानः सीहोर जिले के जंगलों में बाघों की संख्या और जीवन

राजस्थान के सीहोर जिले के जंगलों में अब हालात बेहतर हुए हैं

दहशत तो तब होती है जब कोई गोली से बाघों का शिकार करता है। लेकिन राजस्थान के सीहोर जिले के जंगलों में अब हालात बेहतर हुए हैं।  आपको बता दें कि   जंगलों की उस खतरनाक दुनिया के बारे में और बेहतर हो रहे  उन जंगलों के बारे में जिन जंगलों की दुनिया कुछ समय पहले तक खतरनाक हुआ करती थी।

शिकारी अपनी बंदूक को लेकर घुंस जाता था और वहां रहने वाले बाघों में दहशत समा जाती थी

राजस्थान के सिहोर की उस दुनिया में कोई भी शिकारी अपनी बंदूक को लेकर घुंस जाता था और वहां रहने वाले बाघों में दहशत समा जाती थी। वहां कई बार भूखे प्यासे बाघ अपनी मां के इंतजार में दुनिया से विदा हो जाते थे। और मां बेचारी शिकारी के हाथों मारी जाती थी।लोगों ने साल 2010 के बाद जंगलों की उस खतरनाक दुनिया की तरफ ध्यान देना शुरू किया।

10 साल पहले तक यहां एक भी बाघ नहीं था।लेकिन अब यहां उनकी दहाड़ें सुनाई देती हैं

गौरतलब है कि जब  सेव अवर टाइगर्स नाम से एक अभियान की शुरुआत हुई। इसके ऐड में गोली चलती है और एक बाघ की मौत हो जाती हैै। फिर टीवी पर दुखद संदेश उभरता है जिसमें लिखा होता है बस 1411 बचे।अब वहां हालात सुधर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10 साल पहले तक यहां एक भी बाघ नहीं था।लेकिन अब यहां उनकी दहाड़ें सुनाई देती हैं। हाल ही में की गई गिनती से पता चला कि यहां अब 19 बाघ रहते हैं।

साल 2008 के बाद से जागरुकता आई है,जिस कारण यहां बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है

वन विभाग द्वारा किए गए प्रयासों से साल 2008 के बाद से जागरुकता आई है। जिस कारण यहां बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। अब विभाग की 7 बीटों के करीब दो हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ये बाघ घूमते दिखाई देते हैं।

महेश कुमार यदुवंशीृ

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