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जानिए: कौन है मानेकशॉ, जिससे इंदिरा गांधी भी खाती थी खौफ

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नई दिल्ली:  सैम होर्मूसजी फ्रेमजी जमशेदजी मानेकशॉ एक एकलौते ऐसे फील्ड मार्शल थे जिनके रौबीले रूबाब के चर्चे पूरे दुनिया में मशहुर थे। उन्होने भारतीय सेना के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भारत को कई मुकाम हासिल कराएं। उनका जन्म 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में एक पारसी परिवार में हुआ था। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे। वहां से उन्होने कमीशन प्राप्ति के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए। 1937 में एक सार्वजनिक समारोह के लिए लाहौर गए सैम की मुलाकात सिल्लो बोडे से हुई।

दो साल की यह दोस्ती 22 अप्रैल 1939 को विवाह में बदल गई। 1969 को उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया गया और 1973 में फील्ड मार्शल का सम्मान प्रदान किया गया। 17वी इंफेंट्री डिवीजन में तैनात सैम ने पहली बार द्वितीय विश्व युद्ध में जंग का स्वाद चखा था। 7 जून 1969 को सैम मानेकशॉ ने जनरल कुमारमंगलम के बाद भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया था।

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मानेकशॉ के  नेतृत्व  में जीता गया 1971 का युद्ध

उनके नेतृत्व में भारत ने सन 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में जीत हासिल की थी। उनके रौबीले रूबाब सब को अपनी तरफ लुभाते थें। उनका देश की प्रथम प्रधानमंत्री इंदरा गांधी को आई ऍम ऑलवेज रेडी Sweety बोलना कहीं न कहीं उनके अंदर के बेखौफ इंसान को दर्शाता था। इंदिरा गांधी के सवालों पर बेखौफ होकर जवाब देने वाले वो पहले व्यक्ति थें।
सन 1973 में वो सेना प्रमुख के पद से सेवानिर्वित हुए थे, जिसके बाद उन्हें फेफड़े से संबंधी बिमारी हो गई थी और वे कोमा में चले गए थे,और फिर 27 जून 2008 को उन्होने दुनिया को अलविदा बोल दुनिया को अपनी यादों के बीच छोड़ दिया।

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