नई दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने बीते बुधवार को इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने इस्तीफा देने के पीछे एक खास पारिवारिक वजह बताई है। केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद अरविंद सुब्रमण्यन को मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था। सरकार ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है। अक्टूबर 2004 में मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाए गए अरविंद सुब्रमण्यन के इस्तीफ़े ने बहुत सारे लोगों को चौंका दिया। हालांकि उन्होंने साफ़ किया कि वे बिल्कुल निजी वजहों से ये ओहदा छोड़ रहे हैं।
बता दें कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में मेरे जाने की घोषणा की है। मेरी विदाई की डेडलाइन सितंबर की शुरुआत है, जब मेरे पोते का जन्म होगा। मुझे लगता है कि अगले एक से दो महीने में मेरी विदाई होगी, अभी तारीख तय नहीं हुई। मुख्य आर्थिक सलाहकार का कार्यकाल मई 2019 तक था। लेकिन अपने कार्यकाल के खत्म होने के करीब एक साल पहले उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया इस पर अरविंद ने कहा कि उन्होंने महत्वपूर्ण निजी पारिवारिक कारणों से इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि मेरे पहले पोते का जन्म सितंबर के शुरू में होने वाला है। यह एक बड़ी वजह है मेरे पद छोड़ने की, साथ ही मैं अपनी पुरानी जिंदगी में लौटूंगा, जिसमें रिसर्च करना, लिखना और पढ़ाना शामिल है।
वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उनके इस्तीफ़े की ख़बर देते हुए पूरा ब्लॉग लिखा। शायद इस अंदेशे से कि कोई यह न समझे कि वे किसी असंतोष से जा रहे हैं। इस्तीफ़े के ऐलान के बाद अरविंद सुब्रमण्यन ने जीएसटी, जनधन, आधार को मोबाइल को जोड़ने के लिए तैयार JAM को अपनी बड़ी उपलब्धियों में गिनाया। हालांकि पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर मुख्य आर्थिक सलाहकार अब भी कुछ साफ़-साफ़ कहने से बचे।
साथ ही अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि मुझे लगता है कि ये फ़ैसला जीएसटी काउंसिल को करना होगा, मेरी नज़र में ऐसी चीज़ों को जीएसटी में लाना चाहिए जो अब तक इससे बाहर हैं। मैं चाहूंगा कि व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए शराब को जीएसटी में लाया जाए। जीएसटी का दायरा जितना बड़ा होगा वो उतना ही प्रभावी होगा। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान आर्थिक नीतियों को बनाने में पिछले 4 साल से अहम भूमिका निभा रहे अरविंद सुब्रह्मण्यन का इस्तीफा सरकार के लिए एक बड़ा झटका है।