देहरादून। साल 2013 जून का महीना देवभूमि उत्तराखंड के लिए तबाही लेकर आया। तबाही ऐसी कि आज तक जख्म हरे हैं। कई ऐसे हैं जिन्होने अपना पूरा परिवार खो दिया। कई आज तक लापता की सूची में भी नहीं मिले हैं। हिमालय में आई अब तक की आपदाओं में सबसे भयानक आपदा थी । केदार आपदा को इस युग की भयावह आपदा कहा जाए तो कम ना होगा। इसके बाद चारधाम यात्रा इसके बाद से एकदम रूक
आपदा के पांच साल बाद पटरी पर लौटी चारधाम यात्रा
आपदा के बाद तो जैसे केदारघाटी से तीर्थयात्रियों ने दो साल तक नाता ही तोड़ दिया था। बीते साल 2017 में जहां 4 लाख 71 हजार 2 सौ 35 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए थे। वहीं इस बार हालते तस्वीर एक माह की यात्रा में ही कुछ अलग नजर आई है। इस बार एक माह में ही करीब चार लाख उन्तालीस हजार चार सौ तिहत्तर यात्रियों ने बाबा के दर्शन किए हैं। मतलब जहां पूरे सीजन में यात्रियों का आंकडा 471235 था वहां एक माह में ही इस आंकड़े को इस बार छू लिया है।
अगर साल 2013 की आपदा के बाद के हालत पर गौर करें तो आपको इस बार की यात्रा में हुआ इजाफा साफ नजर आएगा। आखिर किस तरह पर्यटन विभाग और केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार की पहल ने वापस चारधाम यात्रा रूट पर तीर्थयात्रियों का नाता फिर से जोड़ने का प्रयास किया है।
1- साल 2013 में करीब 3,32,240 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।
2- साल 2014 में करीब 40922 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।
3- साल 2015 में करीब 1,11,594 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।
4- साल 2016 में करीब 3,09,746 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।
5- साल 2017 में करीब 4,71,235 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।
6- साल 2018 में करीब 4,39,473 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए।