नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसदों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें जीवन भर मिलने वाली पेंशन को जारी रखने का ऐलान किया है। कोर्ट ने पेंशन को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। न्याय मूर्ति जे चेलेमेश्वर,संजय किशन कौल की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पीठ ने मार्च में ही ये फैसला ले लिया था,लेकिन हमने अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया था। इस मामले को लेकर केंद्र ने कहा था कि पूर्व सांसदों को पेंशन मिलना सही है क्योंकि सांसद न रहने के बाद भी उनकी गरिमा बरकरार है।
केंद्र ने वित्त विधेयक 2018 का भी जिक्र किया था, जिसमें सांसदों के वेतन और पेंशन से जुड़े प्रावधान हैं। इस विधेयक में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर एक अप्रैल 2013 से लेकर हर पांच साल में उनके भत्तों को रिवाइज करने का भी प्रावधान है। उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में केंद्र को सांसदों के वेतन और भत्ते तय करने के लिए एक स्वतंत्र तंत्र बनाने पर अपना रूख स्पष्ट करने को कहा था। इससे पहले सरकार ने कहा था कि मामला विचारधीन है।
इसके बाद शीर्ष न्यायालय पूर्व सांसदों को पेंशन तथा अन्य भत्ते देने वाले कानूनों की संवैधानिक वैधता की जांच के लिए सहमत हो गया था और उसने केन्द्र तथा ईसीआई से इस मुद्दे पर जवाब मांगा था। दरअसल स्वयं सेवी संस्था ‘ लोक प्रहरी ’ ने इलाहाबद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रूख किया था। उच्च न्यायालय ने एनजीओ की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें दावा किया गया था कि कार्यालय छोडऩे के बाद भी सांसदों को मिलने वाली पेंशन समानता का अधिकार के विपरीत है।