हरिद्वार। अपने संन्यास जीवन के 24 साल पूरे होने के अवसर पर बाबा रामदेव ने शंकराचार्य और गुरू समर्थदास के बाद बड़े पैमाने पर संन्यास की दीक्षा दिलाई है। ये बातें इस अवसर पर आयोजित समारोह में आए हुए संतों ने कही। बाबा रामदेव ने 92 आजीवन सेवाव्रतियों को संन्यास की दीक्षा देकर राष्ट्र के निर्माण का संकल्प दिया है।
इसके पहलेइस कार्यक्रम के तहत पतंजली योगपीठ के ऋषि यज्ञ स्थल पर चतुर्वेद पारायण यज्ञ का आयोजन किया गया था। इस यज्ञ के समापन के साथ ही बाबा ने इस सेवाव्रतियों को देवता,ऋषि,सूर्य अग्नि आदि को साक्षी मानकर हरिद्वार के गंगा तट स्थित वीआईपी घाट पर दीक्षित किया।
इस दीक्षा कार्यक्रम के पहले इने सेवाव्रतियों को लेकर शहर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इन सेवाव्रतियों की दीक्षा का कार्यक्रम आश्रम में बीते 21 मार्च से प्रारम्भ हुआ था। ये बाबा के उन 1000 दीक्षुकों में से हैं जिनमें से बाबा रामदेव अपना उत्तराधिकारी भी चुनेंगे। इन सभी सेवाव्रतियों को दीक्षा के बाद संकल्प कराते हुए बाबा ने कहा कि यहां से संन्यास की दीक्षा ग्रहण करने वाले हर सेवाव्रती को 2050 तक भारत को आध्यात्मिक और आर्थिक महाशक्ति के तौर पर प्रतिष्ठापित करने का पूर्ण संकल्प लें।
इस अवसर पर बाबा ने कहा कि संन्यासी होना जीवन का सबसे बड़ा गौरव है। अब से सभी संन्यासी ऋषि परंपरा का निर्वहन करते हुए मातृभूमि, ऋषिसत्ता और अध्यात्मसत्ता में जीवन व्यतीत करेंगे। हमें 2050 तक भारत को आध्यात्मिक और आर्थिक तौर पर सबल राष्ट्र बनाना है।