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लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देना पड़ा महंगा, अब कोडावा ने उठाई आवाज

34 लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देना पड़ा महंगा, अब कोडावा ने उठाई आवाज

बेंगलुरू। कर्नाटक में अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने लिंगायत समुदाय को हिंदू धर्म से अलग धर्म का दर्जा दे दिया है। लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के बाद अब कोडावा समुदाय ने भी सिद्धारमैया सरकार से अलग धर्म की मांग की है। प्रदेश के अल्पसंख्यक विभाग को कोडावा समुदाय की तरफ से एमएस बंसी और विजय मुथप्पा ने ज्ञापन सौंपा है। विभाग ने कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग को समुदाय की मांगों से अवगत कराया है। ज्ञापन में कहा गया है कि कोडावा समुदाय अल्पसंख्यक धर्म के दर्जे के योग्य है क्योंकि हमारी जनसंख्या 1.5 लाख से भी कम है। 34 लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देना पड़ा महंगा, अब कोडावा ने उठाई आवाज

अलग धर्म का दर्जा देने के मांग को लेकर कोडावा समुदाय प्रदेश भर में भारी विरोध प्रदर्शन कर रहा है। बीजेपी ने इस फैसले का विरोध करते हुए वोटों के लिए बंटावारे का आरोप लगाया है।  वहीं शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने केदारनाथ मंदिर से लिंगायत पुजारियों को हटाए जाने की बात कही है। बता दें कि कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी 17 फीसदी है और प्रदेश की 56 विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का अच्छा-खासा असर है।

इसके साथ ही पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी लिंगायतों की अच्छी ख़ासी आबादी है। कर्नाटक में लिंगायत को बीजेपी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। बीजेपी के सीएम कैंडिडेट येदियुरप्पा  और एसपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान भी लिंगायत समुदाय के हैं।  2008 में बीजेपी की जीत में लिंगायत समुदाय का बड़ा योगदान था।  लिंगायत वोट के दम पर ही दक्षिण भारत में बीजेपी की पहली सरकार बनी।

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