नई दिल्ली। कौन कहता है कि महिलाएं खेल के मैदान में देश का सिर गर्व से ऊंचा नहीं कर सकती। जो भी ये कहता है उसे अलोंपिक में भारत को पदक दिलाने वाली साइना नेहवाल के बारे में जानकारी नहीं है, जिन्होंने अपनी मेहनत और देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छाशक्ति के चलते ओलंपिक में पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित कर दिया। आप सोच रहे होंगे के हम आज साइना नेहवाल की बात क्यों कर रहे हैं, तो चलिए हम आपको बता देते हैं आज बैडमिंटन की स्टार खिलाड़ी साइना नेहवाल का जन्मदिवस है। साइना देश की पहली ऐसी खिलाड़ी हैं जो बैडमिंटन में विश्व की नंबर वन प्लेयर रही हैं।
साइना ने बैडमिंटन में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज पदक जीतकर दुनिया को और सबको ये दर्शा दिया है कि भारत की महिला पुरुषों से कम नहीं है। बता दें कि भारत के लिए ढ़ेरों पदक जीतने के चलते उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन अवॉर्ड और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया है। साइना नेहवाल के पारिवारिक इतिहास की बात करे तो वो मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली हैं। उनका जन्म 17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में हुआ था। उनके पिता एग्रीक्लचर डिपार्टमेंट में पोस्टेड थे इसलिए जब -जब उनका तबादला हुआ तब-तब साइना को एक शहर से दूसरे शहर जाना पड़ा।
पिता के तबादले के चलते वो हैदराबाद पहुंच गई और उनका परिवार हैदराबाद में ही रस बस गया। अपने बैडमिंटन करियर को लेकर साइना ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया था कि जब वो आठ साल की थी तो उन्हें प्रैक्टिस के लिए घर से 50 किलोमीटर दूर स्टेडियम जाना पड़ता था, जिसके लिए उन्हें सुबह चार बजे उठना पड़ता था, लेकिन उनके पिता उन्हें स्कूटर पर फटाफट स्टेडियम छोड़ने जाने थे। साइना कहती है कि मेरे पिता रोज दो घंटे तक मेरा खेल देखते थे और फिर वहां से मुझे स्कूल छोड़ने जाया करते थे। साइना बताती हैं कि इतनी कम उम्र में मुझे रोज सुबह उठकर जाना पड़ता था, जिसके चलते मेरी नींद पूरी नहीं हो पाती थी,मैं कही गिर न जाऊं इसलिए मेरी मां हमेशा मेरे साथ रहती थी। मेरा पिता स्कूटर चलाते और मेरी मां मुझे पीछे से पकड़कर बैठती थी।
रोजाना करीब 50 किलोमीटर का सफर आसान नहीं था, लेकिन ये सिलसिला महीनों तक चलता रहा। साइना कहती है कि बचपन में मेरा पहला प्यार बैडमिंटन नहीं बल्कि कराटे था। आपको बता दें कि वो कराटे में ब्लैक बेल्ट रह चुकी हैं। साइना ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पापा का हरियाणा से हैदराबाद ट्रांसफर होने से पहले ही उन्होंने कराटे खेलना शुरू कर दिया था। साइना ने बताया था कि उन्होंने कुछ प्रतियोगिताएं भी कराटे में जीती थीं, लेकिन कराटे लायक उनकी बॉडी फिट नहीं हो पा रही थी। आठ साल की उम्र में काफी मेहनत करने के बाद भी अपने शरीर को कराटे के बड़े टूर्नामेंट के लिए तैयार नहीं कर पा रही थीं, इसलिए मजबूरन साइना को इसे छोड़ना पड़ा।