चंडीगढ़। पंजाब के फरीदकोट के शासक हरिंदर सिंह बराड की 20 हजार कोरड़ रूपये की जायदाद और संपत्ति पर उनकी बेटियां महारानी अमृत कौर और महारानी दीपिंदर कौर{ कोलकाता के राजघराने की महारानी} का अधिकार होगा। इन दोनों को राजा हरिंदर सिंह बराड़ की संपत्ति का आधा-आधा हिस्सा दिया जाएगा। ये फैसला चंडीगढ़ की एक निचली अदालत ने 25 जुलाई 2013 के आदेश को सही ठहराते हुए सुनाया और साल 2013 के फैसले के खिलाफ दायर की गई चारों याचिकाओं को खारिज कर दिया। अदालत ने साल 2013 के फैसले को सुरक्षित रखते हुए राजा की संपत्ति का बराबर-बराबर हिस्सा उनकी दोनों बेटियों में बांटने का आदेश सुनाया।
दरअसल साल 2013 के फैसले के खिलाफ महरावल खेवाजी ट्रस्ट ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी के साथ महारानी अमृत कौर ने भी पूरी संपत्ति अपने नाम करने के लिए याचिका दायर की थी। इसके साथ ही दीपिंदर कौर ने भी याचिका दायर की थी। इसके अलावा इस मामले में चौथी याचिका राजा के छोटे भाई के बेटे भरत इंदर सिंह ने भी संपत्ति पर हक जमाते हुए याचिका दायर की थी। सेशन कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए ट्रस्ट को अमान्य बताया। राजा की फरीदकोट में काफी प्रॉपर्टी है। इसके अलावा चंडीगढ़ में मनीमाजरा का किला, एक होटल साइट समेत दिल्ली और हिमाचल में काफी प्रॉपर्टी है। राजा की कुल प्रॉपर्टी 20 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है।
गौरतलब है कि 25 जुलाई 2013 को सीजेएम की अदालत ने राजा की 20 हजार करोड़ की प्रॉपर्टी का मालिकाना हक उनकी बड़ी बेटी राजकुमारी अमृत कौर और दूसरी बेटी महारानी दीपिंदर कौर को दिया था। निचली अदालत ने राजा की 1982 की वसीयत को अवैध ठहराया था। इस वसीयत में राजा ने महरावल खेवाजी ट्रस्ट बनाकर प्रॉपर्टी इसके नाम कर दी थी। इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन महारानी दीपिंदर कौर हैं। ट्रस्ट ने कहा था कि अदालत ने 1952 की वसीयत पर गौर नहीं किया, जिसमें राजा ने बड़ी बेटी अमृत कौर को प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया था। इसके बाद राजा के छोटे भाई के बेटे भरत इंदर सिंह ने भी निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अदालत में अपील दायर की थी।