न्यूयॉर्क। विश्व में फैली हिंसा के कारण सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है,जिसको लेकर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने चिंता जाहिर की है। यूनिसेफ का कहना है कि हिंसा बच्चों पर बुरा असर डाल रही है और मौजूदा संघर्ष के कारण हो रहे हमलों में सबसे ज्यादा मारे जाने वाले भी बच्चे ही हैं। यूनिसेफ के निदेशक कैपेलिएयरे ने कहा कि ये अस्वीकार्य है कि इस तरह की हिंसक घटनाओं में रोजाना बच्चे मारे जा रहे हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि अकेले इराक, लीबिया, फिलिस्तीन,सीरीया और यमन में बढ़ती हिंसक घटनाओं के कारण रोज लगभग 83 बच्चे मारे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन हिंसक घटनाओं की कीमत सबसे ज्यादा बच्चों को चुकानी पड़ रही है,जबकि इन बच्चों का युद्धा से कोई लेना-देना नहीं है। कैपेलिएयरे ने कहा कि बेहद ही कम उम्र में इन युद्धों के चलते बच्चे मर रहे हैं। सीरीयाई संघर्ष का ये आठवां साल है और लड़ाई तेज करने के कारण पिछले चार हफ्तों में वहां 59 बच्चों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा यमन में संयुक्त राष्ट्र ने हमलों में 16 बच्चों की हत्या की पुष्टि की है और बढ़ रहे संघर्ष में रोजाना बच्चों के मरने या घायल होने की खबरें आ रही हैं। इसके अतिरिक्त एक आत्मघाती हमले ने लीबिया के बेंगाजी में तीन बच्चों की जान ले ली।
कैपेलिएयरे ने बताया कि बच्चों सहित 16 शरणार्थियों की लेबनान में आए शीतकालीन तूफान ने जान ले ली। ये सभी सीरिया में युद्ध से भागकर सुरक्षित स्थान पर जा रहे थे, तभी शीतकालीन तूफान की चपेट में आ गए। जहां कई बच्चों को ठंड से कंपकंपाती हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने कहा कि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका क्षेत्र के सैकड़ों नहीं, हजारों नहीं लेकिन लाखों बच्चों का बचपना कहीं गुम हो गया, उनका जीवन अपंग हो गया, जिंदगीभर का घाव उनको झेलना पड़ा। कई बच्चों को गिरफ्तार तो कइयों को हिरासत में लिया गया।