नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा बिना पुरुष के महिलाओं को हज यात्रा पर जाने देने के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से हज करने जाने वाले यात्रियों का ब्यौरा मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने 60 साल के ऊपर के हज यात्रियों का पूरा ब्यौरा कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है जिन्होंने सफलता प्राप्त किए बिना पांच बार आवेदन किया हो। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाय. चंद्रचूड ने 16 फरवरी को सुनवाई की अगली तारीख तक इस तरह के हज आवदकों का ब्यौरा मांगा है। दरअसल कोर्ट का ये आदेश केरल की हज कमेटी द्वारा दायर की गई याचिका के बाद आया है।
आपको बता दें कि केरल की हज कमेटी ने हज कोटा के आवंटन में घोटाले को लेकर याचिका दायर की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि केरल में हज के लिए ज्यादा आवेदन आए हैं, लेकिन उनके लिए कम हज सीटों का आवंटन किया है। जबकि बिहार में आवेदकों की संख्या कम है और उनके लिए हज सीटों का आवंटन ज्यादा है। इस मामले को लेकर सॉलिसिटर जनरल पंकी आनंद का कहना है कि याचिका दायर करने वाले ने अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करके ये साबित कर दिया है कि वो सक्षम नहीं हो पाए हैं। बताते चलें कि अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष सभी को समानता की गारंटी देता है।