चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया की कवायद शुरू हो गई है। पार्टी संगठन ने तय किया है कि इस बार विधायकों को संगठन की जिम्मेदारी से बाहर रखा जाएगा, जिसके कारण कांग्रेस के छह विधायकों का जिला प्रधान के पद से हटना तय माना जा रहा है। संगठन में बदलाव साल 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए किया जा रहा है ताकि जिला कमेटी में भी विस्तार किया जा सके। मिली जानकारी के मुताबिक फरवरी के अंत तक संगठन को नया रूप दे दिया जाएगा। आपको बता दें कि राहुल गांधी के हाथ में पार्टी की जिम्मेदारी आने के बाद देशभर के पार्टी संगठनों में राहुल गांधी के कहे अनुसार बदलाव किया जा रहा है।
इसी क्रम में पंजाब में भी पार्टी का पुर्नागठन किया जा रहा है। आपको बता दें कि पंजाब कांग्रेस की कमान सुनील जाखड़ के हाथ में आने के बाद से ही संगठन में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यहीं नहीं पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद दो पदाधिकारियों को लगाया गया था, जोकि अभी तक संगठन में अपना कार्यभार संभाल रहे हैं। पार्टी के पुनर्गठन को लेकर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी के बीच एक बैठक हो चुकी है। इसमें ये तय कर लिया गया है कि जो नेता विधायक बन गए हैं, उनसे जिला प्रधान का पद वापस ले लिया जाएगा।
बताया जा रहा है कि इस नीति के तहत जालंधर शहरी के जिला प्रधान राजिंदर बेरी, एसएएस नगर के बलबीर सिंह सिद्धू, होशियारपुर के पवन आदिया समेत करीब आधा दर्जन जिला प्रधानों का बदलना तय माना जा रहा है। विधायकों को संगठन से इसलिए भी दूर रखने की कवायद की जा रही है, ताकि जिला स्तर पर बाकी के नेताओं को संगठन में अच्छे पदों पर समायोजित किया जाए। साथ ही विधायक के हाथ में कमान दी जाएगी, तो इससे सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी बाधा आ सकती है या उस पर एकाधिकार हो सकता है। इसे देखते हुए अब पार्टी ने संगठन के पुनर्गठन की कवायद तेज कर दी है।
हालांकि, माना जा रहा है कि प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ बड़े स्तर पर फेरबदल के पक्ष में नहीं हैं। क्योंकि संगठन का गठन खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया था। अत: जिन जिलों में विधायक के हाथ में जिले की कमान है या जो जिला प्रधान बिल्कुल ही निष्क्रिय हैं, उन्हें छोड़ कर बाकी जिलों में बड़ा फेरबदल नहीं किया जाएगा। वहीं, 2019 को देखते हुए जिला से लेकर प्रदेश स्तर की कमेटी का विस्तार जंबो रूप में ही होगा। ताकि जिन लोगों को सरकार में स्थान नहीं मिला, उन्हें पार्टी में समायोजित किया जाएगा। माना जा रहा है कि फरवरी के अंत तक प्रदेश कांग्र्रेस अपने संगठन का पुनर्गठन कर देगी।