नई दिल्ली। आज लेजेंडरी सिंगर ए आर रहमान का जन्मदिन है।उनका जन्म 6 जनवरी 1967 में हुआ था।इंडस्ट्री में ना सिर्फ उन्होंने नाम ऊंचा किया बल्कि विदेश में भी अपने नाम का डंका बजाया।उनका संगीत ऐसा होता है जो दिल को सुकून और रुह को राहत देता है।उन्हें कई अवार्डस से सम्मानित किया गया, लेकिन उन्होंने ऑस्कर जीत कर देश का नाम रोशन कर दिया।आइये जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से-
रहमान का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। उनका असली नाम दिलीप कुमार था। धर्म परिवर्तन के बाद उनका नाम अल्लाह रखा रहमान रख दिया गया। हमान की मम्मी को सूफी संत पीर करीमुल्लाह शाह कादरी पर बहुत भरोसा था। हालांकि उनकी मां हिंदू धर्म को मानती थीं। उनके बहन की तबियत खराब हुई और पूरा परिवार इस्लामिक धर्म स्थल पहुंच गया।इस बात से रहमान इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना नाम ही बदल लिया।
रहमान बहुत ही छोटे थे जब उनके पिता उन्हें छोड़ कर चले गए।पिता के निधन के बाद वो कादरी से मिलने गए थे। उनके परिवार के साथ बेहद मजबूत जुड़ाव था।रहमान को समझ आ गया था कि सूफी उनके रुह में है और इसी को उन्होंने अपना रास्ता मान लिया।
परिवार से पिता का साया उठना रहमान के लिए किसी पहाड़ टूटने जैसा था।पैसों की तंगी के चलते रहमान को अपना वाद्ययंत्र तक बेचना पड़ा। न्नई के बैंड ‘नेमेसिस एवेन्यू’ की स्थापना में भी रहमान का अहम योगदान रहा। रहमान पियानो, हारमोनयिम, गिटार भी बजा लेते थे।
बचपन से संघर्ष करते हुए रहमान को 1992 में मणि रत्नम की फिल्म को रोजा में संगीत देने का मौका मिला और संगीत जबरदस्त हिट हुआ और रहमान को वो सफलता मिल गई जिसका सपना वो बचपन में देखा करते थे।अपने पहली ही फिल्म के संगीत के लिए उन्हें फिल्मफेयर का अवार्ड भी दिया गया।
रहमान का काम सिर्फ शोहरत की बुलंदियों को छूना ही नहीं बल्कि लोगों के दिलों में उतरना भी था।देश की अजादी के 50वें सालगिरह पर 1997 में बनाया गया उनका अल्बम ‘वंदे मातरम’ बेहद कामयाब रहा। सबसे ज्यादा भाषाओं में इस गाने पर प्रस्तुति दिए जाने के कारण इसके नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी दर्ज है।
आज एआर रहमान एक बड़ा नाम बन चुके हैं। उनकी पत्नी है सायरा बानों और तीन बच्चे हैं। उनकी बेटी को अपने पिता को लोगों को ऑटोग्राफ देना बिल्कूल भी पसंद नहीं है।रहमान को मीठा बहुत ज्यादा पसंद है। रहमान अपने काम में ऐसा समर्पण दिखाते हैं कि सिंगिंग के वक्त अपने परिवार के किसी भी सदस्य को स्टूडियों के अंदर नहीं आने देते हैं।रहमान को ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुआ है। इसी फिल्म के गीत ‘जय हो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले थे।