नई दिल्ली। इस साल केंद्र सरकार ने कश्मीर में पैर पसारते आतंकवादियों के खात्में के लिए ऑपरेशन ऑल आउट शुरू किया था। इस ऑपरेशान का मकसद कश्मीर में एक-एक आतंकवादी को ढुंढ-ढुंढकर मारने का सरकार ने सुरक्षा बलों को टारगेट दिया है। इस ऑपरेशान के तहत हमारे सुरक्षा बल अबतक घाटी में 232 आतंकवादियों को मौत के घाट उतार चुके हैं। यहीं नहीं सुरक्षा बलों ने बुरहान वानी जैसे कश्मीर में आतंकियों के आकाओं को भी मौत के घाट उतार दिया है। आपको बता दें कि बीते सात साल में ये पहला मौका है जब घाटी में केंद्र सरकार के आदेश के बाद इतने आकंवादियों को मौत के घाट उतारा गया है। बता दें कि ये ऑपरेशन अगले साल 2018 में भी इसी तरह से जारी रहेगा। इस ऑपरेशन का असर सिर्फ आतंकवादियों पर ही नजर नहीं आ रहा है, बल्कि उन लोगों को बचाने के लिए घर से बाहर निकलने वाली कश्मीर की आवाम भी अब मौत के डर से आतंकियों को बचाने के लिए बाहर नहीं निकल रही हैं।
इसी ऑपरेशन का असर है कि जिस कश्मीर के युवा साल 2016 में पत्थरबाजी करते थे आज वो बेहतर जिदंगी की राह पर निकल पड़े हैं। वहीं कुछ भटके हुए कश्मीरी युवक, जिन्होंने हाथों में हथियार उठा लिए थे उन्होंने भी अपने हाथों से हथियार को छोड़कर या तो किताब उठा ली है या फिर खेल से जुड़ी कुछ चीजे उठा ली है। ऑपरेशन की बात करें तो एक रिपोर्ट के मुताबिक अधिकांश ओवरग्राउंड वर्कर भूमिगत हो चु़के हैं और कई खुद ही पुलिस के समक्ष सरेंडर करने पहुंच रहे हैं, जबकि 40 से ज्यादा ओवरग्राउंड वर्कर पकड़े जा चुके हैं। लगभग एक दशक से घाटी में आतंकवादियों के दंश को झेल रही भारतीय सेना को ये खुली छुट मिलने के बाद सुरक्षा बल भी गद्दगद्द है। बता दें कि साल 2004 के बाद सेना ने घाटी में अंतरविरोधी अभियान चलाना बंद कर दिया था।
ग्रामीण इलाकों में भी अगर उसे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होती थी तो उसे स्थानीय पुलिस और प्रशासन से पहले संपर्क करना पड़ता था। कई जगाहों से सेना के शिविरों को भी हटा दिया गया था, लेकिन इस ऑपरेशन के बाद तैयारी हुई रणनीति से कश्मीर में आतंकियों के किले बन चुके अलग-अलग इलाकों में एक बार फिर सेना की राष्ट्रीय राइफ्लस ने अपने कैंप स्थापित कर लिए हैं और चुन-चुन कर एक-एक आतंवादी को सेना मौत के घाट उतार रही है। आपको बता दें कि ऑपरेशन ऑल आउट का मूल मंत्र सूचना, समन्वय, सजगता और प्रहार रखा गया है। इसके तहत सभी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ साथ नागरिक प्रशासन में पूरा समन्वय बनाए रखते हुए सूचनाओं के आदान-प्रदान को यकीनी बनाया गया है।