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2 जी घोटाला: सीबीआई सुनाएगी ए राजा को लेकर फैसला, जेल या रिहाई

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नई दिल्ली। टूजी घोटाले में सीबीआई की एक विशेष अदालत गुरूवार को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत और कई लोगों पर फैसला सुना सकती है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी यूपीए सरकार के समय हुए टूजी घोटाले में सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज अलग-अलग मामलों में फैसले सुना सकते हैं। ये पूरा घोटाला 1.76 लाख करोड़ का माना जाता है। टूजी स्पैक्ट्रम घोटाले से जुड़े मामलों पर विशेष रूप से विचार कर रही अदालत ने ए राजा, कनिमोझी और अन्य सहित सभी आरोपियों को फैसले के लिए आज उसके सामने हाजिर रहने का निर्देश दिया है।

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बता दें कि टूजी स्पैक्ट्रम घोटाले में सुनवाई छह साल पहले 2011 में शुरू हुई थी जब अदालत ने 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे। जिन आरोपों में आरोप तय किए गए हैं उनमें छह महीने से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। बता दें कि जिस, वक्त ये घोटाला हुआ उस वक्त ए राजा ने मई 2007 को दूरसंचार मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और अगस्त 2007 में दूरसंचार विभाग द्वारा यूएएस लाइसेंस के साथ 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया शुरू की गई।

वहीं 25 सितंबर, 2007 में दूरसंचार मंत्रालय आवेदन के लिए 1 अक्टूबर, 2007 की डेडलाइन तय करता है और 1 अक्टूबर, 2007 को डीओटी 46 कंपनियों द्वारा 575 आवेदन प्राप्त करता है। 2 नवम्बर, 2007 में प्रधानमंत्री ए राजा को निष्पक्ष लाइसेंस आवंटन और शुल्क के समुचित संशोधन सुनिश्चित करने के लिए पत्र लिखते हैं। ए राजा प्रधानमंत्री की कथित तौर पर कई सिफारिशों को खारिज कर देते हैं। 22 नवंबर, 2007। वित्त मंत्रालय लाइसेंस आवंटन मामले में अपनाई जा रही प्रक्रिया पर चिंता जाहिर करते हुए डीओटी को लिखता है।

साथ ही 10 जनवरी, 2008 को डीओटी ने फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार (एफसीएफएस) पर लाइसेंस जारी करने का निर्णय लिया, जिसके बाद कट-ऑफ की तारीख 25 सितंबर कर दी गई। बाद में इसी दिन, डीओटी ने कहा कि 3.30 से 4.30 के बीच आवेदन करने वालों को लाइसेंस जारी किया जाएगा। उसके बाद 2008 में स्वान टेलीकॉम, यूनिटेक और टाटा टेलीसर्विसेज ने अपने शेयरों के कुछ हिस्सों को Etisalat, Telenor और DoCoMo को उच्च दरों पर बेच दिया।

वहीं 4 मई, 2009 में एनजीओ टेलीकॉम वॉचडॉग ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को लूप टेलीकॉम के लिए 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितताओं को लेकर शिकायत की। 2009 में सीवीसी ने सीबीआई को इस मामले की जांच के लिए निर्देश दिए हैं।

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