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मालदीव : पूर्व राष्ट्रपति नशीद की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी

Nasheed मालदीव : पूर्व राष्ट्रपति नशीद की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी

माले। मालदीव की एक अपराध अदालत ने बुधवार को मालदीव युनाइटेड अपोजिशन (एमयूओ) के निर्वासित नेताओं की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किए। इनमें पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद भी शामिल हैं। मालदीव इंडिपेंडेंट की रपट के अनुसार, एक पुलिस अधिकारी ने कहा है, “राष्ट्रपति पद के अपने कार्यकाल के दौरान नशीद पर सरकारी धन के कथित दुरुपयोग की जांच के बाद उनकी गिरफ्तारी वारंट की मांग की गई थी।”

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जेल प्रशासन ने पुलिस से यह भी कहा है कि नशीद को आतंक के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद जो 13 साल कैद की सजा सुनाई गई थी, उसे पूरा करने के लिए उन्हें मालदीव वापस लाए। अदालत ने पुलिस को पूर्व उपराष्ट्रपति मुहम्मद जमील और अकरम कमालदीन की गिरफ्तारी के लिए अधिकृत कर दिया है। अकरम मालदीव के मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोकेट्रिक पार्टी (एमडीपी) के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। उन्होंने चार अगस्त के पुलिस के उस बुलावे को मानने से इनकार कर दिया था, जिसमें आदेश दिया गया था कि देश में आने के दो हफ्ते के अंदर अनिर्दिष्ट आरोपों में पूछताछ के लिए पेश हों।

पुलिस जून में ही दो बार समन तालीम करने की कोशिश कर चुकी है। उसे संदेह है कि राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की गिरफ्तारी के लिए जाली वारंट प्रकरण से उनका संबंध है। अकरम ने हाल में ही विपक्ष का समर्थन करने वाले राज्जी टीवी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है।

नशीद एवं विपक्ष के अन्य नेता कई माह ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिताने के बाद श्रीलंका दौरे पर हैं। वे यामीन के निकट भविष्य में सत्ता से बाहर होने की अटकलों को हवा दे रहे हैं। एमयूओ ने भ्रष्टाचार, मनी लांड्रिंग और सत्ता के दुरुपयोग को लेकर यामीन की गिरफ्तारी का प्रण लिया है। यामीन ने सरकारी खजाने से आठ करोड़ डॉलर की चोरी से जुड़ी भ्रष्टाचार की घटना में अपना कोई संबंध होने से इनकार किया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस श्रीलंकाई प्रशासन की मदद चाहती है? इस पर प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। नशीद को जब इलाज कराने के लिए ब्रिटेन जाने की स्वीकृति मिली थी तभी उन्हें ब्रिटेन में मई 2015 में राजनीतिक शरण मिल गई थी। विपक्ष के नेता नशीद को मार्च 2015 में आतंकवाद के आरोप में जब जेल की सजा हुई थी तो इसकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत निंदा हुई थी।

ब्रिटेन की सरकार ने जमील को भी राजनीतिक शरणार्थी का दर्ज दिया था। जमील जुलाई 2015 में मालदीव से भागे थे। यह संसद ने जब उनको एक विवादित मतदान में दोषी करार दिया यह उसके कुछ ही समय पहले की बात है। तब से वह खुद ही ब्रिटेन में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि जमील और अकरम श्रीलंका में एमयूओ के अन्य नेताओं से मिले हैं या नहीं।

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