उत्तराखंडः प्रदेश में पर्यटन के लिहाज से प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ धार्मिक स्थलों की भरमार है।जिसके चलते हर साल लाखों पर्यटक देवभूमि की सैर पर आते हैं।देवभूमि में साल 2013 में आई आपदा के बाद पर्यटन में भारी कमी देखी गई थी।जिसके बाद से सूबे में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई प्रोजेक्टों को लॉन्च किए हैं। इसी के तहत सूबे में पर्यटन विभाग ने गोत्र पर्यटन के नाम से एक बड़ी परियोजना की रूपरेखा तैयार की है।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हिन्दू धर्म में हर जाति वर्ग में गोत्र का प्रचलन होता है।इसी गोत्र को लेकर अब सूबे का पर्यटन विभाग एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने में लगा है। सूबे में इस प्रोजेक्ट को खुद मुख्यमंत्री द्वारा मॉनीटर भी किया जा रहा है। पहले चरण में उन गोत्रों को और उन गोत्रों से जुड़े स्थलों की तलाश का काम शुरू कर दिया गया है। इसको लेकर पर्यटन विभाग अपना ब्लू प्रिंट तैयार कर जल्द ही राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के पास भेजने वाला है।
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सतपाल महाराज ने कहा कि देवभूमि ने कई स्थलों पर प्राचीन सप्त ऋषि और कई ऋषियों के आश्रम और स्थल रहे हैं।जहां पर उन्होनें अपनी गृहस्थ आश्रम को भी व्यतीत किया है।इन्हीं ऋषियों की संतानों के तौर पर हिन्दू धर्म में लोग अपने आपको ऋषियों की संतान के तौर पर मानते हैं।इन्हीं के नाम पर लोगों के गोत्र होते हैं।अब पर्यटन विभाग ऐसे स्थलों को चिन्हित करने का काम करने में लगा है।उन्होंने कहा कि देश में इस तर के प्रोजेक्ट लागू होने बहुत ही सराहनीय कार्य है।
आपको बता दें कि जल्द ही ऐसे स्थलों को पर्यटन के लिहाज से बढ़ावा दिया जाएगा।क्योंकि यहां पर बद्रीनाथ केदारनाथ में कई तीर्थपुरोहितों के पास कुछ ऐसे डाटा है।जो कि कई सौ साल पुराने हैं।जिनमें किसी व्यक्ति के परिवार के पूर्वजों का विवरण मौजूद है।जो कि यह निर्धारित करेगा कि कौन किस गौत्र के ऋषि की संतान के तौर पर है।
गौत्र पर्यटन के तौर पर आने वाले दिनों में सूबे में पर्यटन को विकसित करने का बढ़ा प्लान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के विजन पर तैयार किया गया है।सतपाल महाराज ने खुद इस प्रोजेक्ट के बारे में कहा है कि प्रोजेक्ट से जहां धार्मिक पर्यटन को बढावा मिलेगा वहीं पर सूबे में अपने पूर्वजों से जुड़े इतिहास को भी लोग खंगाल सकेंगे।