जम्मू-कश्मीरः पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्य आतंकियों को ‘माटी का सपूत’ बताया। महबूबा ने कहा कि उनको बचाने के लिए कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में ‘गन-कल्चर’ को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार को स्थानीय आतंकी संगठनों से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अनंतनाग में पार्टी के कार्यक्रम के बाद कहा- इस वक्त पाकिस्तान और अलगाववादियों से बात होनी चाहिए। इसी तरह आतंकी नेतृत्व से भी बात होनी चाहिए, ये वही लोग हैं, जिनके हाथ में बंदूकें हैं और यही राज्य में ‘गन कल्चर’ खत्म कर सकते हैं।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने पर विचार व्यक्त करते हुए कहा, मेरा मानना है कि कुछ स्तरों पर हुर्रियत और आतंकियों से भी बात होनी चाहिए। हालांकि, महबूबा ने कवर करते हुए कहा कि आतंकियों से बात करना अभी जल्दी होगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय आतंकियों को हिंसा के रास्ते पर जाने से रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1996 में राजनीति में आई है तभी से मैं कह रही हूं कि स्थानीय आतंकी ‘माटी के सपूत’ हैं। उन्हें बचाने के लिए अधिकतम प्रयास होने चाहिए, क्योंकि वे हमारी संपत्ति हैं।
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महबूबा ने कहा अगर कहीं मुठभेड़ में आतंकी और सुरक्षाबल आमने-सामने होते हैं, तब उस वक्त कोई कुछ नहीं कर सकता। इसके पहले भी सोमवार को महबूबा ने लोकसभा चुनाव के तीन महीने पहले जेएनयू मामले में चार्जशीट दाखिल होने पर भी सवाल उठाए। इस चार्जशीट में 7 कश्मीरी छात्रों को भी आरोपी बनाया गया। उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों का प्रयोग कर राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास कर रही।
पूर्व सीएम ने कहा, ऐसा महसूस हो रहा है कि 2019 के चुनाव की तैयारी में कश्मीर के लोगों को मोहरा बनाया जा रहा है। उनका प्रयोग किया जा रहा है। वोट की राजनीति हो रही है। इसी तरह से कांग्रेस ने 2014 चुनाव से पहले अफजल गुरु को फांसी दी थी। ये सोचकर की शायद उन्हें इस तरह से कामयाबी मिलेगी। आज फिर से वही भाजपा दोहरा रही है।