पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरीय नेता डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य के सरकारी खजाने में राशि रहने के बावजूद सरकार ने राज्य के अंदर चलने वाली 182 योजनाओं में वित्तीय वर्ष 2015-16 में एक पैसा भी खर्च नहीं कर सकीं, क्यों? जिस कारण इन योजनाओं की कुल राशि 5134 करोड़ रुपये वर्ष के अंत सरकार ने सरेंडर किया। इससे स्पष्ट होता है कि राज्य की वर्तमान नीतीश कुमार की सरकार विकास के कामों से ज्यादा अपना प्रचार करती रहीं और विकास योजनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया, जिसका यह परिणाम है।
डॉ. प्रेम कुमार ने मंगलवार को यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) की 2015-16 की रिपोर्ट में कहा कि राज्य सरकार अपने बजट का सही आकलन नहीं कर पाती है जिस कारण 1.48 लाख करोड़ रुपये के बजट में से 35 हजार करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सकी। सरकार ने 31 मार्च 2016 को 15913 करोड़ रुपये सरेंडर हुए, जब कि 10557 करोड़ रुपये लैप्स हो गए । यानी कुल बजट का करीब 22 फीसदी राशि लैप्स कर गयी। इसके लिए आखिर कौन जिम्मेवार है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बताएं?
नेता विपक्ष डॉ. कुमार ने कहा कि राज्य में मध्याह्न भोजन योजना में वर्ष 2011 से 2016 के बीच 1669 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई। वाणिज्यकर विभाग की लापरवाही से राज्य सरकार के राजस्व में 740 करोड़ रुपये की चपत लगी है। रिपोर्ट में बताया गया की वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान 12,074.32 करोड़ रुपये का एसी-डीसी बिल लंबित हैं। वहीं दूसरी और राज्य के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2016-17 में तीमाही तक 2250.44 करोड़ रुपये का राजकीय घटा हुआ है। यह पूरी तरह से राज्य की वर्तमान सरकार की विफलताओं का परिणाम हैं, जिस कारण राज्य का विकास रूका हुआ है। इसके लिए जिम्मेवार व्यक्ति पर सरकार तुरंत कार्रवाई करें।