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भारत-चीन गतिरोध में किसे है फायदा, जानें एक्सपर्ट की राय

india and china- nepal

एजेंसी, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है क्योंकि मई से भारतीय और चीनी सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ गतिरोध बरकरार है। भारतीय विदेश नीति विश्लेषक अमृता ढिल्लों ने समझाया है कि लंबी तकरार के पीछे की वजह क्या है और चीन -भारत गतिरोध से कौन लाभ उठा सकता है?

10 सितंबर को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की सीमा पर सीमा संघर्ष की शुरुआत के बाद पहली बार विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ मुलाकात की। दोनों पक्षों ने चीनी और भारतीय सैनिकों द्वारा विघटनकारी और दूरी तय करने और नए विश्वास निर्माण उपायों के साथ आगे बढ़ने के लिए तनाव को कम करने के लिए पांच सिद्धांतों पर सहमति व्यक्त की।

हिमालय में पैंगॉन्ग झील के उत्तरी किनारे पर 5 मई से शुरू हुई चीन-भारत एलएसी के बीच गतिरोध शुरू हुआ और फिर जून के मध्य में खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया परिणामस्वरूप गलवान घाटी में कम से कम 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई। हालाकि दावा है कि 40 चीनी सैनिक भी इस घटना में मारे गये हैं।

भारत-चीन के बीच तनाव के कारण क्या है?

भारतीय विदेश मामलों के विश्लेषक अमृता ढिल्लों मानते हैं कि भारत और चीन के बीच बढ़ रहे तनाव का कारण है दोनों देशों के बीच आपसी सुलह में इंटरेस्ट ना लेना। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि उत्तर-पूर्व भारत क्यों नहीं जहां चीन पहले से ही विवादित सीमाएं हैं और वे भारत के अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देते हैं? इसका कारण यह है कि लगभग 60% लंबाई? पैंगोंग झील तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के भीतर स्थित है। अब हमें यहां चीन की चिंता को समझना होगा। तिब्बत क्षेत्र एक संकीर्ण लेन जी -219 के साथ झिंजियांग से जुड़ा है, जो पैंगोंग झील से केवल 100 किलोमीटर दूर है।

युद्ध भारत-चीन के बीच बने इस युद्ध जैसे माहौल में भारत को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त मिल सकता है, क्योंकि चीन झिंजियांग से तिब्बत को काट रहा है जाहिर है, चीनी इस भौगोलिक स्थान को उनके संभावित कमजोर स्थान के रूप में देखते हैं। ऐसे में भारत को अपना कड़ा रुख अख्तियार करके रखना चाहिए ताकि चीन को एक संदेश जाए कि भारत किसी भी कीमत पर पीछे हटने वाला नहीं है। 

चीन को हो रहा है विशेष लाभ

आर्थिक विश्लेषक ने बताया कि जिस तरह से भारत के खिलाफ चीन पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर को लेकर के एक नई तरह की रणनीति बन रही है उसको देखते हुए हमें अब ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। क्योंकि पाकिस्तान ने भारत चीन के बीच बढ़ती तल्खी को भुनाने का काम किया है और ऐसे में पाक अधिकृत कश्मीर को चीन के हवाले कर दिया है ताकि भारत और चीन सीधे तौर पर एक दूसरे से सामने आ जाए।

भारत और चीन की तल्खी के बीच पाकिस्तान जहां अपनी जमीन को कौड़ियों के भाव चीन को देने को तैयार हो गया है तो वहीं पर चीनी लोगों का पाक अधिकृत कश्मीर में जमावड़ा यह बताता है कि पाक बिना किसी शर्त के चीन को व जमीन व्यापार के लिए दे सकता है।

इसमें एक और जो सबसे अहम बात है वह यह है कि चीन को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को पूरा करने के लिए हिंद महासागर के माध्यम से संचार के रणनीतिक समुद्री लेन तक अनियंत्रित पहुंच की आवश्यकता है। इसके लिए चीन को भारत के साथ काम करने वाले संबंधों को बनाए रखने की जरूरत है, जो महासागर और उसके प्रमुख “चोक पॉइंट” को नियंत्रित करता है।

लेकिन बहरहाल चीन और भारत के बीच चल रहे इस गतिरोध को कैसे समाप्त किया जाए किस तरह से एक दूसरे के बीच में स्टे प्लेसमेंट किया जाए ताकि किसी को ज्यादा नुकसान ना हो और भविष्य में किसी तरह की कोई खूनी संघर्ष ना हो।

 

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