आज 1 दिसंबर है यानि विश्व एड्स दिवस. हर साल विश्व एड्स पूरे विश्व में लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. ताकि लोगों को इस गंभीर बीमारी के बारे में जानकारी हो सके और सभी मिथ्य दू हों.
क्या है एड्स?
एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम ये ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी यानि एचआईवी वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला महामारी का रोग है. एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण है. यह मनुष्य की अन्य रोगों से लड़ने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं. प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर फुफ्फुस प्रदाह, टीबी, क्षय रोग, कर्क रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं और मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है. यही कारण है की एड्स परीक्षण महत्वपूर्ण है.
कैसे हुई एड्स दिवस मनाने की शुरुआत?
सबसे पहले USA यानि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने विश्व एड्स दिवस को मनाने के लिए एक आधिकारीक घोषणा दी थी. ये साल 1995 की बात है. इस घोषणा के बाद से ही दुनियाभर में ये दिन मनाया जाने लगा.
एड्स के बारे में खास बातें-
1959 में अफ्रीका में एड्स का पहला मामला आया था.
विश्व एड्स दिवस की कल्पना पहली बार 1987 में अगस्त के महीने में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्लयू बन्न ने की थी.
एड्स् एक ऐसी बीमारी है, जो इंसान की किसी भी संक्रमण से लड़ने की क्षमता को प्रभावित करता है.
अभी तक एड्स की बीमारी से लड़ने का कोई इलाज नहीं मिल पाया है.
एचआईवी महामारी को समाप्त करना- लचीलापन और प्रभाव, ये इस साल की थीम है