देशभर में गुरुवार यानी कल से शारदीय नवरात्र आरंभ हो चुके हैं। इसी के साथ ही साल के अंत के पर्व व त्यौहारों की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के पहले दिन ही शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ की तपस्थली गोरक्षपीठ में लोक कल्याण की भावना के साथ शक्ति उपासना पीठ की परंपरा के मुताबिक विधि विधान के साथ पूजा आरंभ हो गई है। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने मठ के पहली तल पर स्थित शक्ति मंदिर में मंत्रोच्चारण के साथ कलश स्थापना कर मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की उपासना की।
शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिन @Gorakhnathmndr परिसर स्थित श्री दुर्गा मंदिर में परंपरागत रूप से आज वैदिक मंत्रों के बीच कलश स्थापना की।
देवी माँ विश्व जगत में सबका कल्याण करें। https://t.co/SwFFZjWhWp
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 7, 2021
करीब 2 घंटे तक चले इस अनुष्ठान में सीएम योगी ने आदिशक्ति मां भवानी की आराधना, आरती और क्षमा प्रार्थना के साथ संपन्न हुआ। साथ ही सीएम योगी ने नवरात्रि की दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की आराधना की।
कलश स्थापना से पहले गोरक्षपीठाधीश्वर की अनुमति से गोरखनाथ मंदिर परिसर में परंपरागत भव्य कलश शोभायात्रा श्रद्धाभाव के साथ निकाली गई। गोरखनाथ मंदिर परिसर के प्रमुख पुजारी ने शाम करीब साढ़े पांच बजे योगी कमलनाथ को गोरक्षपीठाधीश्वर ने परंपरागत रूप से अपने हाथों से शिवावतारी गुरु गोरक्षनाथ का त्रिशूल देकर रवाना किया।
योगी कमलनाथ की अगुवाई में संत महात्माओं की कलश शोभायात्रा में मां दुर्गा के जयघोष किस्सा भीम सरोवर पहुंची, जहां से कलश भरने के बाद भी सरोवर की परिक्रमा कर कलश शोभायात्रा की वापसी शक्ति मंदिर पहुंची, जहां पहुंचकर वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ कलश की स्थापना की गई।
इसके बाद शक्ति मंदिर के प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी एवं अन्य पुरोहितों की निर्देश के अनुसार सीएम योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले मां दुर्गा, भगवान शिव और गुरु गोरखनाथ के शस्त्र त्रिशूल को प्रतिष्ठित किया और फिर गौरी गणेश की आराधना के साथ पूजा आरंभ की।
सीएम योगी नवरात्र पर्व के पूरे 9 दिन का व्रत करते हैं। सीएम योगी के व्रत का सिलसिला उनके गोरक्षपीठ में आगमन के साथ से यानी लगभग ढाई दशक से पुराना है। योगी मुख्यमंत्री बनने से पहले पूरे नवरात्र गोरखनाथ मठ के पहले तल पर ही प्रवास कर उपासना में रत रहते थे। लेकिन मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद के केवल प्रवास में बदलाव आया है, शेष पूजा-आराधना का क्रम अनवरत जारी है।