नई दिल्ली/ हरिद्वार। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बनी त्रिवेन्द्र सरकार को बड़ी राहत दी है। नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाते हुए SC ने उत्तराखंड में खनन पर लगी चार महीने की रोक को हटा दिया है।
दरअसल कुछ दिन पहले एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खनन पर 4 महीने के लिए बैन लगा दिया था। साथ ही कोर्ट ने राज्य में खनन और पर्यावरण पर सुझाव देने के लिए एक हाई पावर्ड कमेटी बना दी थी। जिसे चार महीने में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपना था। इस कमेटी में सेक्रेटरी इनवायरमेंट, फॉरेस्ट, क्लाइमेट चेंज के साथ ही डीजी एफआरआई सहित जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट से जुड़े लोग होंगे। जो कि खनन पर आने वाले 50 सालों का रोडमैप पेश करेंगे, साथ ही इससे वातावरण पर पड़ने वाले हानिकारक परिणामों को भी बताना होगा। लेकिन सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने HC के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
पढ़िए क्या है पूरा मामला?
कोर्ट में खनन को रोकने की याचिका दो लोगों ने दायर की थी। ये दोनों लोग बागेश्वर के गांव सिरमौली के रहने वाले है जिनके नाम नवीन चंद्र पंत और मनोज पंत है। इन्होंने पिछले साल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि अवैध खनन से गांव में जल स्त्रोत सूख रहे है। यहां तक की सभी स्कूलों और घरों को भी नुकसान हो रहा है क्योंकि खनन माफिया दंबगई करते हैं।