नई दिल्ली। देश के भविष्य को बर्बाद होने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे से बहुत बड़ा आदेश दिया गया है। ये आदेश मुल्क की सभी सरकारों के लिए है…आदेश ये कि नशे में दम तोड़ रहे बचपन को बचाने के लिए क्या किया जाए इसका सरकार सुझाव दें। इस योजना को बनाने के लिए कोर्ट ने सरकार को 6 महीने का समय भी दिया है।
गैर सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आन्दोलन’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने बच्चों के बीच मादक पदार्थो के दुरुपयोग के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने सरकार को देशभर में नशीली दवाओं के प्रचलन का पता लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वे करने का निर्देश देते हुए कहा कि वो पता लगाए कि स्कूली बच्चें नशे का किस प्रकार और किस हद तक इस्तेमाल करते है?
इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों से मादक पदार्थो के दुरुपयोग के गंभीर परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कहा। साथ ही केंद्र सरकार को स्कूली पाठ्यक्रम में मादक पदार्थो के उपयोग के दुष्परिणामों को शामिल करने का निर्देश भी दिया है।