नई दिल्ली। अपराधी से नेता बने मोहम्मद शहाबुद्दीन फिर से जेल में जाएंगे या नहीं इस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। दो अलग-अलग मामलों में पटना हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद शहाबुद्दीन 10 सितंबर को भागलपुर जेल से रिहा हुए थे। राजीव रोशन हत्याकांड में शहाबुद्दीन को जमानत मिली है। इस फैसले पर राजेश रोशन के पिता चंदा बाबू और बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने शहाबुद्दीन को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों न उसकी जमानत रद्द की।
प्रशांतभूषण द्वारा दायर याचिका में स्पष्ट किया गया है कि मुकदमा शुरू होने में देरी को आधार बना कर इस तरह के कुख्यात अपराधी को जमानत देना गलत था। इसके साथ ही चंदा बाबू ने आरोप लगाया कि शहाबुद्दीन की रिहाई से उनकी जान को खतरा उत्पन्न हो गया है, क्योंकि उनके दो बेटों की हत्या से संबंधित मामले में राजद नेता को पहले सजा सुनाई जा चुकी है। साथ ही उन्होने सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की है कि वो हाई कोर्ट के फैसले पर तुरंत रोक लगाए और शहाबुद्दीन को जेल भेजे। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राम जेठमलानी सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में शहाबुद्दीन के वकील होंगे।
शहाबुद्दीन पर एक साथ कई मामले चल रहे हैं और कई मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है। शहाबुद्दीन के ऊपर करीब तीन दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। ट्रायल कोर्ट के गठन के बाद 12 मामलों का फैसला आ चुका है जिसमें आठ मामलों में एक साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो चुकी है और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।