लखनऊ: सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम वर्ग के उद्योग को सहारा देने के लिए कई कदम उठाए। स्थिति थोड़ी बेहतर होती, इससे पहले कोरोना का कहर देखने को मिला। इसका जमीनी असर कितना है और चुनौतियां क्या-क्या हैं, इसी विषय पर Bharatkhabar.com के संवाददाता आदित्य मिश्र ने उद्योग जगत के लोगों और पदाधिकारियों से बातचीत की।
कमेटी रखे योजनाओं पर नजर
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संस्थापक सदस्यों में से एक एएन मल्होत्रा (Ashok N Malhotra, M/S Electro Engineers) ने MSME सेक्टर से जुड़े कई पहलुओं पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि दूसरे लॉकडाउन के दौरान सरकार ने अपनी तरफ से प्रतिबंध नहीं लगाया, लेकिन फैक्ट्री अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल पाई। 40 से 50% संचालन देखने को मिला। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा प्रभाव प्रिंटिंग और पब्लिकेशन सेक्टर पर हुआ है। स्कूल और कॉलेज बंद होने के कारण कोरोना की सबसे बड़ी मार यहीं देखने को मिली है। स्थिति यह है कि ना मशीनरी का मेंटेनेंस हो पा रहा है, ना कर्मचारियों की तनख्वाह सही समय पर मिल पा रही है।
पुराना पैसा भी बाजार से मिलने में कई दिक्कतें हैं। इन सबके बीच सरकार की तरफ से जो योजनाएं आती हैं, उनका भी ग्राउंड पर सही तरीके से इंप्लीमेंटेशन नहीं हो पा रहा है। सुझाव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि योजनाओं पर नजर बनाए रखने के लिए एक कमेटी होनी चाहिए, जिसकी जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों जिनमें सांसद और विधायक प्रमुख हैं, उनको दी जानी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिजली बिल पर लगने वाले चार्ज और अन्य भुगतान में सरकार को राहत देनी चाहिए।
अस्तित्व को बचाने में जुटे हैं
विजय शंकर शर्मा (Vijay Shankar, IIA CEC Member) ने बातचीत के दौरान बताया कि MSME सेक्टर पर कोरोना का बड़ा प्रभाव देखने को मिला है। स्थिति अब अस्तित्व को बचाने तक आ गई है, टर्नओवर काफी घट गया है और पेमेंट मिलने में भी कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में आर्थिक संकट भी देखने को मिल रहा है। कंस्ट्रक्शन से जुड़े क्षेत्र में कच्चे माल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं, दूसरी तरफ बाजार में मांग भी कम है। मौजूदा समय में इसके बाद भी कई तरह के भुगतान करने पड़ रहे हैं, जिसमें बिजली बिल, कर्मचारियों का वेतन शामिल है। समाधान पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को बिजली बिल जैसे चार्ज में राहत देनी चाहिए। अगर समय रहते छूट ना दी गई तो स्थिति और खराब हो जाएगी।
योजनाओं में सुधार जरूरी
प्रवीण सदाना (PARVEEN SADANA, FORMER NATIONAL PRESIDENT, INDIAN INDUSTRIES ASSOCIATION, IIA) का कहना है कि सरकार कई अच्छे कदम उठा रही है, लेकिन जमीन पर उसका सकारात्मक असर बिल्कुल नहीं देखने को मिल रहा है। योजना का जब तक सही तरीके से इंप्लीमेंटेशन नहीं होगा, कोई फायदा नहीं है। इन सब के अतिरिक्त उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ MSME सेक्टर आर्थिक मंदी झेल रहा है, वहीं बिजली बिल अलग-अलग टैक्स और अन्य भुगतान अभी भी करने पड़ रहे हैं। सरकार को इसमें छूट देनी चाहिए, तभी स्थिति बेहतर होगी। सरकारी योजनाओं पर उन्होंने कहा कि प्रैक्टिकल और इफेक्टिव स्कीम बनाने की जरूरत है।
लोन नहीं, सब्सिडी भी जरूरी
अरुण हजाला (IIA Member) ने बताया कि अभी कोई इनपुट और कोई आउटपुट नहीं है। जितना रा मटेरियल पहले से पड़ा हुआ था, उसी के आधार पर उत्पादन हुआ। महंगाई MSME सेक्टर पर सबसे बड़ा प्रभाव डाल रही है। काम बंद होने के बाद भी लोन और बिजली बिल जैसी चीजें अदा करनी पड़ रही हैं। सरकार अगर अगले 1 साल के लिए इन पर राहत दे तो स्थिति सुधर सकती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ लोन देने से काम नहीं चलेगा, सब्सिडी देना भी जरूरी है। MSME सेक्टर सबसे ज्यादा इसकी मांग करता है।