जयपुर। दीपावली का त्योहार कुछ दिन दूर हैं। लेकिन राजस्थान में रोशनी के त्योहर पर अंधेरा हो सकता है। दरअसल राज्य में इस समय बिजली संकट काफी बढ़ गया है, कोयले की कमी को लेकर राज्य में बिजली का संकट मंडर रहा है। बता दें कि थर्मल पावर पर निर्भर प्रदेश की बिजली आपूर्ति खत्म होन के कगार पर पहुंच गई है। हालांकि राज्य में बिजली संकट से निपटने के लिए प्रदेश में रोटेशन के आधार पर कुछ समय के लिए लोड शेडिंग को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
राज्य मे बिजली संकट को लेकर राजस्थान उर्जा विकास निगम ने प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में कोयले की कमी की वजह से बिजली की उपलब्धता में लगभग 3000 मेगावाट प्रतिदिन की कमी हो गई है। इससे प्रदेश में बिजली संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बता देें कि राजस्थान के सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन में 15000 मेगावाट क्षमता के स्थान पर कोयले की कमी से सूरतगढ़ थर्मल पावर स्टेशन में 1500 मेगावाट क्षमता के स्थान पर 730 मेगावाट व कोटा थर्मल पावर स्टेशन में 1240 मेगावाट के स्थान पर 600 मेगावाट, छबड़ा थर्मल में 1000 मेगावाट के स्थान पर 635 मेगावाट और कालीसिन्ध में 1200 मेगावट की क्षमता के स्थान पर 551 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है।
इसके साथ ही अडानी पावर राजस्थान लिमिटेड की 1200 मेगावाट क्षमता के स्थान पर 616 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है व राजवेस्ट पावर स्टेशन की 135-135 मेगावाट क्षमता की दो इकाईयों में भी उत्पादन नही हो रहा है। इससे प्रदेश में बिजली की उपलब्धता में प्रतिदिन लगभग 721 लाख यूनिट (3000 मेगावाट) की कमी हो गई है। विज्ञप्ति के अनुसार देशभर में विद्युत की उपलब्धता में कमी की वजह से एनर्जी एक्सचेंज से भी उचित दरों पर बिजली की उपलब्धता नहीं हो रही है। कुछ ब्लॉक में तो यह दर 09 रुपये प्रति यूनिट तक रहती है।
मौसम में बदलाव की वजह से विण्ड व हाइडल पावर में भी कमी आ गई है। इस वजह से विद्युत उपलब्धता में कमी आई है। विद्युत आपूर्ति की स्थिति को सामान्य बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं और कोयले की आपूर्ति सामान्य होने पर अगले 2-3 सप्ताह में स्थिति में सुधार आने की संभावना है।