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पुणे सेशन कोर्ट ने रद्द की भीमा-कोरेगांव हिंसा के पांच आरोपियों की जमानत वाली याचिका

भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपियों को पुणे के सेशन कोर्ट से राहत नहीं मिली है।मालूम हो कि सेशन कोर्ट ने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करते हुए आरोपी वर्नन गोंजाल्विस,अरूण फरेरा और सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। वहीं बचाव पक्ष की और से एक आवेदन दायर कर पुणे सेशन कोर्ट से वर्नन गुंजाल्विस,अरूण फरेरा की नजरबंदी को सात दिन के लिए बढ़ाए जाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन तीनों ही आरोपियों की नजरबंदी की अवधि आज खत्म हो रही है।

 

 पुणे सेशन कोर्ट ने रद्द की भीमा-कोरेगांव हिंसा के पांच आरोपियों की जमानत वाली याचिका
पुणे सेशन कोर्ट ने रद्द की भीमा-कोरेगांव हिंसा के पांच आरोपियों की जमानत वाली याचिका

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आपको बता दें कि पांचों कार्यकर्ता वरवरा राव, अरुण फरेरा,वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को 29 अगस्त से अपने-अपने घरों में नजरबंद किया गया। मालूम हो कि पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ के सम्मेलन के बाद राज्य के भीमा-कोरेगांव में हिंसा की घटना के बाद दर्ज एक एफआईआर के संबंध में महाराष्ट्र पुलिस ने इन्हें 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 19 सितंबर को कहा था कि वह मामले पर नजर बनाए रखेगा। क्योंकि सिर्फ अनुमान के आधार पर आजादी की बलि नहीं चढ़ाई जा सकती है।

भीमा-कोरेगांव की लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी

आपको बता दें कि मामला बीते जनवरी 2018 का है। जब पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था। जहां पर दो पक्षों में भड़की हिंसा से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।यदि इस हिंसा की तह तक जाना है तो इतिहास को भी जानना जरूरी है। मालूम हो कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी।उक्त लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इस लड़ाई में अंग्रेजों की ओर से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी। इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था।

महार जाति के लोग  जीत का जश्न हर साल मनाते हैं

महार जाति के लोग इस युद्ध को अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं। इस जाति के लोग इस जीत का जश्न हर साल मनाते हैं।ऐसा ही जश्न इस साल जनवरी में भीमा-कोरेगांव में लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया गया।भीमा-कोरेगांव के शौर्य दिवस के कार्यक्रम के दौरान अचानक भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला बोल दिया।इस घटना के बाद दलित संगठनों ने 2 दिनों तक मुंबई समेत नासिक,पुणे,ठाणे,अहमदनगर,औरंगाबाद, सोलापुर समेत कई इलाकों में बंद बुलाया।जिसमें तोड़-फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुईं। तभी पुणे के ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस रवीन्द्र कदम ने भीमा-कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया था।

महेश कुमार यादव

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