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जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को विदाई दी गई

cm rawat kovind जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को विदाई दी गई

देहरादून। बीते रविवार को जौलीग्राण्ट एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूडी एवं डिप्टी कमांडेंट आई.एम.ए. जे.एस.नेहरा द्वारा विदाई दी गई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसका विधिवत उद्घाटन किया था। इस अवसर पर उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, नागालैण्ड के राज्पाल पी.बी.आचार्य, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, स्वामी रामदेव, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद व विद्यार्थी उपस्थित थे।

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सदियों से धार्मिक कुम्भ की परम्परा रही है

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश में सदियों से धार्मिक कुम्भ की परम्परा रही है। हरिद्वार, कुम्भ के आयोजन की पावन भूमि रही है। उन्होंने उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित ज्ञान कुम्भ को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक पहल बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही व्यक्ति, परिवार, समाज व देश की प्रगति का आधार होती है। देश के संविधान में शिक्षा की जिम्मेदारी, केंद्र व राज्य दोनों को दी गई है। ज्ञान कुम्भ द्वारा उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए केंद्र व राज्यों में नया समन्वय स्थापित हो रहा है, उत्तराखण्ड ने इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ज्ञान कुम्भ में विभिन्न सत्रों में सार्थक व उपयोगी विमर्श होगा जिससे उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए सहायता मिलेगी।

गुणात्मक शिक्षा में शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है

राष्ट्रपति ने कहा था कि गुणात्मक शिक्षा में शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है, उस प्रतिभा को तलाशने व निखारने का काम शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों का होता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बच्चा गरीबी या किसी भी कारण से शिक्षा के अवसर से वंचित न रहे। ज्ञान के साथ संस्कारों के बीज भी रोपित करना शिक्षकों की जिम्मेवारी है। परंतु यह काम वही शिक्षक कर सकते हैं जिनमें स्वयं त्याग व संवेदनशीलता हो।

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