सम्मेलन में दिखीं दूरियां
सूत्रों की माने तो पीएम मोदी और पीएम शरीफ के बीच औपचारिक मुलाकात केवल एक दूसरे के हालचाल पूछने तक ही सीमित रह गई थी। पीएम मोदी ने शरीफ से उनकी मां और उनेक स्वास्थ्य का हालचाल पूछा । बता दे कि साल 2015 के बाद पीएम शरीफ से पीएम मोदी की ये पहली मुलाकात है। हांलाकि सम्मेलन में आयोजित कार्यक्रम में दोनों की दूरियां साफ दिखीं थी। बताया जा रहा है कि कजाकिस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान नजरवायेव की ओर से दिए गये स्वातग समारोह के दौरान जब पीएम मोदी शरीफ, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी चिपफिंग सहित अन्य शीर्ष नेताओं ने शिरकत की थी। तो वहीं उसी दौरान पीएम मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बीच केवल औपचारिक मुलाकात हुई थी।
हांलाकि इससे पहले जब वहां मौजूद मीडिया ने पाक पीएम से पूछा था कि क्या वो भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे। तो नवाज शरीफ ने के मुस्कुराहट से जबाब दे मीडिया का हाथ हिलाकर अभिवादन किया था। हांलाकि पीएम मोदी और नवाज शरीफ के बीच किसी तरह की मुलाकात को लेकर भारत का रूख साफ है कि वो ना तो अनुरोध करेंगे ना ही कोई प्रस्ताव देंगे। इस बारे में अभी तक को विचार नहीं किया गया है।
चीनी राष्ट्रपति से मिलकर रिश्तों को सुधारने की कवायद
लेकिन चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात करना भारत और चीन के रिश्तों के लिए अहम तो है । साथ ही आने वाले दिनों में जब भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यता के लिए अपना प्रस्ताव रखे तो चीन की तरफ से कोई विरोध ना आये इसका भी भारत को विशेष ध्यान रखना है। हांलकि चीनी की तरफ से कई बार इस बारे में कहा गया है कि अगर भारत को सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता दी गई तो पाकिस्तान को भी दी जानी चाहिए । वरना दक्षिण एशिया में सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है।
चीन के इस विरोधी स्वर को भारत हर हाल में खत्म करना चाहता है। इसके लिए दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकात और SCO का ये सम्मेलन बहुत ही खास और अहम माना जा रहा है। हांलाकि पश्चिमी देशों के विदेश मामलों के विशेषज्ञों की माने तो भारत के इस संगठन में शामिल होने से इस पर चीनी प्रभुत्व कम होता नजर आ रहा है।