भारत जाने-माने चित्रकार एमएफ हुसैन आज के दिन 9 जून 2011 को लंदन में अपने जीवन की आखरी सांस ली थी। आपको बता दें कि एमएफ हुसैन का नाम मकबूल फिदा पुसैन था। लेकिन वह एमएफ हुसैन के नाम से बतौर चित्रकार विश्व में प्रशिद्ध थे। गौरतलब है कि पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पहचान एमएफ हुसैन को 1940 के आखिरी दशक में मिली।
एमएफ हुसैन का जज्बा
एमएफ हुसैन ने अपनी युवा अवस्था में चित्रकार के रूप में बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट्स की राष्ट्रवादी परंपरा को कुचल कर बढ़ना चाहते थे, ऐसे में वर्ष 1952 में उनकी पेंटिग्स की प्रदर्शनी ज्यूरिख में लगी और उसके बाद से यूरोप और अमरीका में उनकी पेंटिग्स को खूब सराहा गया।
एमएफ हुसैन की उपलब्धि चित्रकार से राज्यसभा सांसद तक
एमएफ हुसैन को सन् 1955 में भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 1967 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म थ्रू द आइज ऑफ अ पेंटर बनाई। फिल्म बर्लिन फिल्म समारोह में चली। और फिल्म ने गोल्डन बेयर पुरस्कार जीता। 1973 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया तो 1986 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। भारत सरकार ने 1991 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
हुसैन हिन्दू देवी–देवताओं की ववादित पेंटिंग
हुसैन की विवादित पेंटिंग को लेकर भारत में कई जगहों विरोध हुआ। भारत माता की विवादित पेंटिंग बनाने पर पत्रकार तेजपाल सिंह धामा, एम एफ हुसैन से एक प्रेस वार्ता के दौरानझपट गए। 2006 में हुसैन ने भारत छोड़ दिया था।और तभी से लंदन में रहने लगे। 2008 में भारत माता पर बनाई पेंटिंग्स के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे पर न्यायाधीश की एक टिप्पणी “एक पेंटर को इस उम्र में घर में ही रहना चाहिए” जिससे उन्हें गहरा आघात पहुंचा। और उन्होंने इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी की। हालांकि इसे कोर्ट ने जेक्ट कर दिया। 9 जून 2011 को लंदन में ही एमएफ हुसैन का देहांत हो गया।