नई दिल्ली। नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विधान सभा की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है। जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। जिसके बाद नीतीश कुमार की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। याचिका में कहा गया है कि नीतीश कुमार ने अपने ऊपर लगे लंबित आपराधिक मामले को छिपाया है। ये याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एम एल शर्मा ने इस मामले में तत्काल सुनवाई करने के लिए कोर्ट से अनुरोध किया था।
कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्र न्यायमूर्ति अमिताव रॉय और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की पीठ ने इस पर सुनवाई करने की बात कही है। इसके साथ ही पीठ ने कहा है कि वह देखेगी कि मामले को सुनवाई के लिए कब सूची बद्ध किया जा सकता है।
इस याचिका में नीतीश कुमार के ऊपर आरोप लगाया है कि उन्होने अपने निर्वाचन के समय कई तत्थ छिपाए हैं। इसमें वह वर्ष 1991 में बाढ़ से लोकसभा पर हुए उप चुनाव के दौरान कांग्रेसी नेता सीताराम सिंह की हत्या के साथ 4 अन्य लोगों को घायल करने के मामले में आरोपी हैं। उन्होने 2012 के चुनाव को छोड़कर किसी भी चुनाव में अपने खिलाफ लम्बित मामले की जानकारी आयोग को नहीं दी । जबकि 2002 के आदेश के अनुसार उन्होने ये ब्यौरा देना था। ऐसे में उनका संवैधानिक पद पर बना रहना ठीक नहीं है।