पहली मेट्रो के आने के बाद अगले कुछ दिन में प्राथमिक कारीडोर के लिए बाकी मेट्रो भी आ जाएंगी। 15 नवंबर 2021 को इसका ट्रायल रन शुरू करना है। जनवरी 2022 में आम जनता के लिए मेट्रो को शुरू कर दिया जाएगा।

कानपुर के प्राथमिक सेक्शन के लिए 8 मेट्रो ट्रेनें चलेंगी। इसके बाद कानपुर के दोनों कारीडोर में कुल 39 ट्रेनें संचालित होंगी और सभी में 3-3 कोच होंगे। इन ट्रेनों में ‘रीजेनरेटिव ब्रेकिंग’ का फ़ीचर होगा, जिसकी मदद से ट्रेनों में लगने वाले ब्रेक से 45 पीसद तक ऊर्जा को रीजेनरेट करके फिर से सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा। वायु-प्रदूषण को कम करने के लिए इन ट्रेनों में अत्याधुनिक ‘प्रापल्सन सिस्टम’ रहेगा।
इन में कार्बन-डाई-आक्साइड सेंसर आधारित एयर कंडीशनिंग सिस्टम होगा, जो ट्रेन में मौजूद यात्रियों की संख्या के हिसाब से चलेगा और ऊर्जा की बचत करेगा। आटोमैटिक ट्रेन आपरेशन को ध्यान में रखते हुए ये ट्रेनें संचारित आधारित ट्रेन नियंत्रण प्रणाली से चलेंगी।
मेट्रो की ट्रेनों की यात्री क्षमता 974 यात्रियों की होगी। इन ट्रेनों की डिज़ाइन स्पीड 90 किमी प्रति घंटा और आपरेशन स्पीड 80 किमी प्रति घंटा तक होगी। ट्रेन के पहले और आख़िरी कोच में दिव्यांगों की व्हीलचेयर के लिए अलग से जगह होगी। व्हीलचेयर के स्थान के पास ‘लांग स्टाप रिक्वेस्ट बटन’ होगा, जिसे दबाकर दिव्यांग ट्रेन आपरेटर को अधिक देर तक दरवाज़ा खुला रखने के लिए सूचित कर सकते हैं ताकि वे आराम से ट्रेन से उतर सकें।
ट्रेनों में अग्निशमन यंत्र, स्मोक डिटेक्टर्स और सीसीटीवी कैमरे भी लगे होंगे। मेट्रो ट्रेनें थर्ड रेल यानी पटरियों के समानांतर चलने वाली तीसरी रेल से ऊर्जा प्राप्त करेंगी, इसलिए इसमें खंभों और तारों के सेटअप की आवश्यकता नहीं होगी और बुनियादी ढांचा बेहतर और सुंदर दिखाई देगा।
इन ट्रेनों को अत्याधुनिक फायर और क्रैश सेफ्टी के मानकों के आधार पर डिजाइन किया गया है। हर ट्रेन में 24 सीसीटीवी कैमरे होंगे, जिनका वीडियो फीड सीधे ट्रेन आपरेटर और डिपो में बने सेंट्रल सिक्योरिटी रूम में पहुंचेगा।
हर ट्रेन में 56 यूएसबी चार्जिंग प्वाइंट होंगे। हर ट्रेन में 36 एलसीडी पैनल्स भी होंगे। टाक बैक बटन को दबाकर यात्री आपात स्थिति में ट्रेन आपरेटर से बात कर सकते हैं। यात्री की लोकेशन और सीसीटीवी का फुटेज सीधे ट्रेन आपरेटर के पास मौजूद मानीटर पर दिखाई देगा ।
मेट्रो में ब्रेक लगने एवं लिफ्ट (Metro Break And Lift) रुकने से निकलने वाली ऊर्जा का मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC)
इस्तेमाल करेगा। अधिकांशतः किसी भी वाहन के ब्रेक लगने पर ऊर्जा नष्ट होती है, लेकिन कानपुर मेट्रो ट्रेन (Metro Train) में ब्रेक लगते ही बिजली का बनना शुरू हो जाएगी और इससे कुल बिजली की खपत का 45 फीसद उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक को रीजनरेटिव ब्रेकिंग (Regenerative Breaking System) कहा जाता है।
मेट्रो कोच और स्टेशन की लिफ्ट के रुकने पर निकलने वाली ऊर्जा को मेट्रो की इलेक्ट्रिक सप्लाई में दोबारा भेजने के लिए कोच के पहियों में उपकरण हैं। जैसे ही मेट्रो या लिफ्ट रुकेगी तो निकलने वाली ऊर्जा बिजली के रूप में यह उपकरण वापस इलेक्ट्रिक लाइन में भेज देंगे, जिसका उपयोग दूसरी ट्रेनों के लिए होगा। पटरियों के बगल में चलने वाली थर्ड रेल से मेट्रो को करंट मिलेगा और इससे ही मेट्रो अपने द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को वापस भेजेगी।