मध्य प्रदेश के पूर्व विधानसभा और वर्तमान में कन्वेंशन सेंटर मिंटो हॉल के नामकरण को लेकर मांग तेज होने लगी है। दिलचस्प बात यह है कि नामकरण के समर्थन में भाजपा के साथ कांग्रेस दल के भी नेता शामिल हैं। आपको बता दें बीते कुछ दिनों से मध्यप्रदेश में नामकरण की कवायद तेजी से चल रही है। और अभी हाल ही में हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति स्टेशन के रूप में बदला गया है।
रेलवे स्टेशन कान्हा रानी कमलापति पर रखने की घोषणा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी। उसके बाद इंदौर के दो स्थानों टंट्या भील और आप 5 स्टार सुविधाओं वाली कन्वेंशन सेंटर मिंटो हॉल को नामकरण की रेस में शामिल किया जा रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने उठाई मांग
कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने मांग उठाते हुए कहा है कि हम आजादी का 75 वा अमृत महोत्सव बना रहे हैं। ऐसे में अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक भोपाल के मिंटो हॉल का नाम बदलकर मामा टंट्या भील कर देना चाहिए।
हम आज़ादी का 75 वाँ अमृत महोत्सव मना रहे है।
ग़ुलामी के प्रतीक भोपाल के मिंटो हाल का नाम बदलकर मामा टँटया भील के नाम पर कर देना चाहिये।
यह उनके बलिदान दिवस पर सच्चा तोहफ़ा होगा।
भाजपा की अगली कार्यसमिति की बैठक भी वही होना है , उसमें भी यह प्रस्ताव पारित होना चाहिये।— Narendra Saluja (@NarendraSaluja) November 24, 2021
मिंटो हॉल का क्या है इतिहास
जानकारी के मुताबिक मिंटो हॉल की नियम 12 नवंबर 1909 में रखी गई थी। इस दौरान भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मिंटो भोपाल आए थे। और उन्हें उस वक्त के राजभवन में रुकवाया गया था। लेकिन वायसराय राजभवन की व्यवस्था को देखकर काफी नाखुश हुए। वायसराय लॉर्ड मिंटू की नाराजगी को देखते हुए तात्कालिक नवाब सुल्तान जहां बेगम ने आनन-फानन में एक हॉल बनवाने का निर्णय लिया। जिसकी नेम वायसराय लॉर्ड मिंटो द्वारा रखी गई।
यही कारण है कि हॉल का नाम मिंटो हॉल पड़ गया। हालांकि इस इमारत को बनाने में करीब 50 साल लगे।