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कावेरी विवाद: तमिलानाडु को 177.25 टीएमसी पानी देने का फैसला

Kaveri controversy

नई दिल्ली। कावेरी जल विवाद मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई भी राज्य कावेरी नदी पर अपना दावा नहीं कर सकता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कावेरी वाटर ट्रिब्युनल के फैसले में संशोधन करते हुए आदेश दिया कि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी पानी ज्यादा मिलेगा, जबकि तमिलनाडु को 192 टीएमसी फुट की जगह 177.25 टीएमसी फुट पानी दिया जाएगा। ट्रिब्युनल ने कर्नाटक को 270 टीएमसी फुट पानी देने का फैसला किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी वाटर ट्रिब्युनल की आलोचना करते हुए कहा कि ये राजनीति से प्रेरित था और उसने कर्नाटक के पेयजल की जररूतों का ध्यान नहीं रखा।

Kaveri controversy
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर,2017 को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। 11 जुलाई 2017 से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतिम सुनवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि वो अगले आदेश तक तमिलनाडु को दो हजार क्युसेक पानी छोड़े। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एक सामाजिक कार्यकर्ता शिवा कुमार की कावेरी जल बंटवारे के विवाद में हुए सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान के लिए हर्जाना देने संबंधी याचिका खारिज कर दी थी।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि आप जलसंग्रह के लिए बांध का उपयोग क्यों नहीं करते हैं ताकि उस पानी का इस्तेमाल संकट के समय किया जा सके। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि आप वाटर हार्वेस्टिंग मैकेनिज्म पर काम क्यों नहीं करते हैं। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि पानी बचाने पर आपका क्या प्लान है।

बीते 07 अप्रैल,2017 को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश में संशोधन करने की याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कर्नाटक तमिलनाडु को छह हजार क्यूसेक पानी दे। कर्नाटक की दलील थी कि ये आदेश पिछले 20 से 30 सितंबर 2016 तक के लिए था, जो समय अब खत्म हो गया है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में संशोधन करे।

18 अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को निर्दश दिया था कि वो तमिलनाडु को प्रतिदिन दो हजार क्युसेक पानी छोड़े। उसके पहले एक अक्टूबर को कर्नाटक ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल किया था और मांग की थी कि केंद्र कावेरी वाटर मैनेजमेंट बोर्ड का गठन करे।

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