कानपुरः साल 1984 के दंगों की आग का धुंआ आज भी कानपुर में दिखाई देता है। इस दंगों में कई परिवार झुलस गए। सरकारी आंकड़े बताते है कि 127 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। दंगाइयों पर कार्रवाई के इंतजार में न जाने कितने लोग दुनिया छोड़कर चले गए तो कइयों ने इंसाफ की उम्मीद ही छोड़ दी।
कानपुर में अब सिख दंगों के 11 मामलों में अब चार्जशीट लगाई जा रही है। जिसके मुताबिक 54 आरोपियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। इन सभी आरोपियों का सत्यापन भी हो चुका है।
शहर के बर्रा, फजलगंज, गोविंद नगर और अर्मापुर थाना क्षेत्रों में दंगे के दौरान रहने वाले सिक्खों का कत्लेआम हुआ। उस दौरान हत्यायुक्त डकैती के 400 मामले दर्ज हुए थे। जिसके बाद सिक्ख समुदाय में इंसाफ की आस जगी, लेकिन सरकारें आती-जाती रहीं मगर लोगों को इंसाफ नहीं मिला।
SIT ने 11 पूरी की 11 मामलों की जांच
दंगा पीड़ितो को इंसाफ दिलाने के लिए बीजेपी सरकार ने 2019 में एक एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने 20 ऐसे मामलों की जांच की जिनमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी गयी थी। यह 20 केस हत्या औऱ डकैती से सम्बंधित थे। एसआईटी ने 11 मुकदमों की जांच पूरी कर ली है, 9 केस बंद कर दिए गए हैं। जिन केसों की जांच पूरी की गई उसमें के 54 आरोपियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है।
54 आरोपियों पर लटकी कार्रवाई की तलवार
सीओ एसआईटी सुरेन्द्र यादव ने बताया कि ये 11 केस शहर के अलग-अलग थानों गोविंद नगर, बर्रा, फजलगंज, नौबस्ता व अर्मापुर से संबंधित हैं। इसमें कुल 67 आरोपियों का सत्यापन किया गया था। जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है। इस हिसाब से 54 आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मंजूरी मांगी गई है। एसआईटी ने सिख विरोधी दंगों की जांच सौंपी गयी तो यह काम आसान नही था।
पीड़ितों के दर्ज किए गए बयान
दरअसल इतन लम्बा वक्त गुजरने और तमाम पीड़ितों के शहर छोड़ने की वजह से जांच में कई बाधाएं आ रही थीं। एसआईटी ने एक-एक केस का गहन अध्ययन किया। जिसके बाद टीम ने पीड़ितों के पास जा कर मुलाकात की। कई पीड़ित दूसरे राज्यों में चले गए यहां भी एसआईटी पहुंची। न्याय की उम्मीद में 11 केस के पीड़ितों ने एसआईटी की मदद की। अब तक कई पीड़ितों के बयान दर्ज कराए जा चुके हैं। एसआईटी ने पंजाब,चेन्नई,मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में जा कर पीड़ितों के बयान दर्ज किए साथ ही उनसे केस से सम्बंधित कागजात जुटाए। अब एसआईटी की मेहनत रंग लाती दिख रही है।