नई दिल्ली। सभी धर्मो को जोड़ने वाले राष्ट्रगान को आज ही के दिन भारत ने हिन्दी संस्करण के रुप में अपनाया था जिसे आज 68 साल बीत गए है लेकिन इसका सम्मान आज भी लोगों के दिलों में उतना ही है जितना कि पहले था। इस राष्ट्रगान को गाने में 52 सेंकेण्ड का समय लगता है जिसमें सभी धर्मों का समावेश है और जिसका एक मात्र संदेश एकता और सद्भाव की भावना बनाए रखना है।
मूल रूप से बंगाली भाषा में लिखे गए इस गीत की रचना नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर ने की थी जबकि आबिद अली ने इसका हिंदी अनुवाद किया था। राष्ट्रगान को सबसे पहले 27 दिसंबर 1911 को कलकत्ता में बंगाली और हिंदी अधिवेशन में गाया गया जिसमें 5 पद है।
राष्ट्रगान को विशेष अवसरों पर बजाया जाता है जिसके सम्मान में सभी लोग खड़े होकर अपना आदर सम्मान अपने देश के राष्ट्रगान को समर्पित करते हैं। राष्ट्रगान को ध्यान में रखकर कई सिनेमाघरों में फिल्म शुरु होने से पहले बजाना अति आवश्यक कर दिया और ना खड़े होने पर सख्त दंड का प्रावधान भी किया गया है।