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लोगों से मिला प्यार, पर विवादाें से भरा रहा राजनीतिक सफर

Jaaaaaaaa लोगों से मिला प्यार, पर विवादाें से भरा रहा राजनीतिक सफर

नई दिल्ली। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की मौत की खबरों से पूरे राज्य शोक का माहौल है। बता दें कि रविवार को दिल को दौरा पड़ने के बाद सोमवार को उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया जहां पर शाम को अम्मा जिंदगी की जंग हार गईं। आपको बता दें कि लगातार उनकी सेहत को लेकर खबरें आती रही थीं पर अन्त में सोमवार की शाम उनकी मौत हो गई। जयललिता तमिलनाडु की सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री रही हैं।

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जयललिता को लोगों के बीच में जितना प्यार मिला, जिसका नजारा उनके इलाज के दौरान अस्पताल के बाहर लोगों की भारी भीड़ को देखकर लगाया जा सकता था, इसके साथ ही आपको बता दें कि अपने राजनीतिक क्षेत्र में वो लोगों के बीच जितना करीब रही हैं, उतना ही उनके ऊपर आरोप लगते रहे हैं। उनके पूरे राजनीतिक सफर में कई बार उनपर भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप लगते रहे है। आइए हम आपको बताते हैं कि उनके राजनीतिक सफर में उनपर कब कब लगे हैं आरोप-

  • राजनीति के उनके सफर में कई सारे आरोप लगते रहे हैं। उनके जीवन की सबसे बड़ी घटना यह रही जब एकबार विधानसभा में डीएमके और एआईडीएमक विधायकों के बीच हाथापाई और जयललिता के साथ बदसुलूकी की गई थी और वहीं जयललिता ने कसम खाई थी कि अब वो विधानसभा में तभी लौटेंगी जब वो मुख्यमंत्री बन कर आएंगी, अपने वादे को पूरा करते हुए दो साल के भीतर ही उन्होंने एआईएडीएमके का कांग्रेस से गठबंधन किया और राज्य की पहली बार सीएम बनीं थीं।
  • पहली बार 1991 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उनपर आय से अधिक संपत्ति, भ्रष्टाचार और राज्य में अव्यवस्था के आरोप लगे थे, जिसका परिणाम अगले चुनाव में देखने को मिला था जिसमें पार्टी महज चार सीटों पर सिमट गई थी और फिर करुणानिधि राज्य के मुख्यमंत्री बने।

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  • करुणानिधि के सीएम बनने के बाद से एकबार फिर जयललिता निशाने पर रहीं और सत्तारुढ़ सरकार ने उनपर भ्रष्टाचार के करीब 48 मामले दर्ज करवाए, जिसके चलते उन्हें जेल जाना पड़ा था। यह दौर उनके लिए परेशानियाें से भरा रहा इसी बीच 1997 में सुब्रमण्यम स्वामी ने उनके ऊपर करीब 66 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति हासिल करने का मामला दर्ज कराया जो एक दशक से अधिक समय तक जयललिता के लिए समस्याओं का कारण बना रहा।
  • उनपर आरेापों का असर कुछ इसकदर रहा कि भ्रष्टाचार के मुकदमों के चलते 2001 में वो स्वयं चुनाव नहीं लड़ सकीं, हालांकि पार्टी बहुमत से जीती जिसके बाद पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया, बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी थी।
  • वर्ष 2014 में एकबार फिर से उनपर आरोप लगा। 27 सितंबर 2014 को अदालत ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में चार साल की सजा सुनाते हुए 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया, जिसके चलते करीब 1 महीने तक फिर उन्हें जेल में रहना पड़ था। बाद में फिर 2015 में हाई कोर्ट ने जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी कर दिया था।

 abhilash -अभिलाष श्रीवास्तव

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