नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय महिलाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत देश में लड़कियां परिवार के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देती हैं। बेटियां मां बाप के फैसले को मानने के लिए अपने प्यार की कुर्बानी दे देती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी एक व्यक्ति की उम्रकैद की सजा को खारिज करते हुए की है। दराअसल व्यक्ति ने लड़की से गुपचुप तरीके से शादी की और शादी के तुरंत बाद ही दोनों ने खुदकुशी कर ली। जिसमें व्यक्ति बच गया लेकिन पीड़िता को बचाया नहीं जा सका।
बता दें कि कोर्ट में व्यक्ति के खिलाफ 1995 में पीड़िता की हत्या का मामला दर्ज किया गया था। जिसमें अदालत का कहना है कि हो सकता है महिला न चाहा कर अपनी इच्छा को मारने के लिए राजी हो गई हो। लेकिन घटनास्थल पर जो चीज़े मिली हैं चुड़ियां सिंदूर, मंगलसूत्र, जिन्हें देखने के बाद यही लगता है कि बाद में लड़की का मन बदल गया हो और उसने शादी करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद दोनों ने जान दी। दोनों ने फांसी लगा ली जिसमें से व्यक्ति तो बच गया लेकिन लड़की की मौत हो गई।
शादी में जाति थी रूकावट
जस्टिस एके सीकर और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ का कहना है कि भारत में ये बहुत ही आम बात है कि लड़कियां अपने परिवार की मर्जी को मानने के लिए अपने प्यार को कुर्बान कर देती है। मामले को लेकर अदालत का कहना है कि पीड़िता और व्यक्ति एक दूसरे से प्यार करते थे। और लड़की के पिता ने अदालत के सामने ये गवाही दी है कि दोनों की जाति अलग होने के कारण उन्होंने शादी के लिए हां नहीं की थी। साथ ही कोर्ट का कहना है कि घटना के वक्त सिर्फ ये दो लोग ही घटनास्थल पर मौजूद थे इनके अलावा वहां कोई नहीं था इसलिए किसी को नहीं पता कि वहां क्या हुआ। दोनों ने ही फांसी लगाई थी जिनमें से एक की मौत हो गई है और दूसरा जेल में बंद है। पुलिस को इसका कोई सबूत नहीं मिला है कि लड़की की हत्या की गई है। जिस पर कोर्ट का कहना है कि अदालत काल्पना के आधार पर फैसला नहीं करती है। कोर्ट ने युवक को रिहा करते हुए कहा कि विपक्ष उसको दोषी साबित करने में कामयाब नहीं रहा। इसलिए उसको सजा नहीं दी जा सकती।