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चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट से भारत टीआईआर के जरिए लड़ेगा

UN चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट से भारत टीआईआर के जरिए लड़ेगा

नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर भारत ने एक बार फिर अपना वर्चश्व बनाया है। संयुक्त राष्ट्र के टीआईआर कन्वेंशन से भारत जुड़ गया है। इस टीआईआर कन्वेंशन से भारत जुड़ने वाला 71 वां देश भी बन गया है। टीआईआर कन्वेंशन के जरिए अब भारत को दक्षिण एशिया और उसके बाहर व्यापार करने और उसे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। इससे भारत की वैश्विक स्तर पर व्यापार की संभावनाएं और प्रवल होंगी।

UN चीन के वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट से भारत टीआईआर के जरिए लड़ेगा

इसके पहले कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए भारत को अलग-अलग देशों के साथ ट्रांस्पोर्ट से लेकर कस्टम तक की समस्याओं से दो चार होना पड़ता था। टैक्स और ड्यूटी के बिना अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर कोई व्यापार हो पाना सम्भव नहीं था। अब टीआईआर कन्वेंशन का हिस्सा बनने के बाद भारत के लिए व्यापार के क्षेत्र में काफी मदद मिलेगी। अब इसके बाद भारत को ट्रांस्पोर्ट से जुड़ी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। हांलाकि इस मामले में चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट भी इसी योजना को डोमिनेंटिंग करना का प्रोजेक्ट है। अगर भारत को वैश्विक तौर पर उभरती हुई अपनी क्षमताओं को बढ़ाना है तो उसके लिए टीआईआर कन्वेंशन का हिस्सा बनना देश के लिए आने वाले भविष्य में बेहतर होगा।

टीआईआर अंतर्राष्ट्रीय ट्रांस्पोर्ट के लिए एक तरह का मानक है। जिसका प्रबंधन विश्व सड़क परिवहन संगठन द्वारा किया जाता है। अब भारत भी इसका हिस्सा बन गया है। इस मौके पर आईआरयू के महासचिव उमबेर्टो डि प्रेटो ने भारत का स्वागत करते हुए कहा कि भारत का इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में स्वागत है। इसमें भारत के शामिल होने के बाद से दक्षिण एशिया के साथ वैश्विक स्तर पर व्यापार में बड़ी और व्यापक मदद मिलेगी। टीआईआर भारत को म्यांमार, थाइलैंड, बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के साथ व्यापार करने और व्यवसायिक रिश्तों को बढ़ाने में मदद करेगा।

टीआईआर के जरिए अब भारत को चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’प्रोजेक्ट से लड़ने में मदद मिलेगी। भारत का वैश्विक स्तर पर और खासतौर पर दक्षिण एशिया में व्यापार बढ़ाने में आने वाली समस्याओं से लड़ने में ये काफी मददगार साबित होगा। यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच व्यापारिक रिश्तों की एक बड़ी कड़ी साबित होगा। पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र को इसके जरिए समुद्री-व्यापार से जोड़ने में भी भारत को काफी मदद मिलेगी। ये प्रोजेक्ट भारत को चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ प्रोजेक्ट से लड़ने में काफी मददगार होगा।

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