नई दिल्ली। 2001 में भारतीय संसद पर हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध का खतरा पैदा हो गया था। साल 2003 में छेड़े गये इराक युद्ध के मामले में जांच करने वाली समिति को पेश किए गए सबूतों के मुताबिक यह बात सामने आई है।
यह जानकारी उन दस्तावेजों से मिली है जो हाल में यूके की तरफ से रिलीज किए गए हैं। ये सारे दस्तावेज 2003 में हुए ईराक युद्ध के हैं। तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री जैक स्ट्रॉ ने चिलकॉट जांच कमेटी के समक्ष गवाही में कहा कि भारत-पाक के बीच परमाणु हमले का खतरा था।
स्ट्रॉ ने उस समय के अन्य बड़े मुद्दों को रेखांकित करते हुए कहा था कि वह हर घंटे भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर चिंतित थे, जिसने उनके तत्कालीन अमेरिकी समकक्ष कॉलिन पॉवेल के साथ उनके करीबी संबंधों का आधार तैयार किया।
स्ट्रा ने बताया कि 13 दिसंबर 2001 में इस्लामिक आतंकियों ने दिल्ली में लोक सभा पर हमला कर दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध जैसे हालात बन गए थे। क्योंकि हमारा सारा ध्यान अफगानिस्तान की तरफ था इस वजह से हमने भारत पाकिस्तान को बहला-फुसलाकर युद्ध ना करने के लिए मना लिया।