नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को केंद्र व राज्यों के बीच सूचना साझेदारी पर जोर देते हुए देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए इसे जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक सुरक्षा तब तक मजबूत नहीं हो सकती, जब तक कि केंद्र और राज्य खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान नहीं करते। मोदी ने 10 साल बाद हुई अंतर-राज्य परिषद (आईएससी) की बैठक का उद्घाटन करते हुए देश के विकास के लिए भी केंद्र और राज्य सरकारों के मिलजुलकर कार्य करने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “देश की आंतरिक सुरक्षा तब तक मजबूत नहीं की जा सकती, जब तक कि हम खुफिया जानकारियां साझा करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते और अपनी पुलिस को आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस नहीं करते।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “हालांकि हमने काफी लंबी दूरी तय की है, पर हमें अपनी क्षमता व दक्षता निरंतर बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें निरंतर सतर्क और अद्यतन रहने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि राष्ट्र तभी प्रगति कर सकता है, जब केंद्र व राज्य सरकारें मिलजुलकर काम करें।
उन्होंने कहा कि आईएससी नीतियों पर चर्चा का एक मंच प्रदान करता है और निश्चित तौर पर यह केंद्र-राज्य तथा अंतर-राज्य संबंधों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मंच है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्रियों और अन्य के साथ चर्चा से केंद्र व राज्यों के बीच संबंध मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “राष्ट्र उसी स्थिति में प्रगति कर सकता है, जब केंद्र व राज्य सरकारें कंधे से कंधा मिलाकर काम करें। किसी भी सरकार के लिए केवल अपने बलबूते योजनाओं को लागू करने में मुश्किलें आ सकती हैं। इसलिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन का प्रावधान नीतियों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी के समान ही महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने कहा, “केवल कुछ ही अवसर हैं, जब केंद्र व राज्यों का नेतृत्व साथ आता है।” साल 2006 के बाद हो रही इस बैठक में आंतरिक सुरक्षा, केंद्र-राज्य संबंधों पर पंछी आयोग की अनुशंसाओं, आधार कार्ड और सब्सिडी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के मुद्दों पर भी चर्चा होगी।
मोदी ने कहा कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं को स्वीकार किए जाने से केंद्रीय कर में राज्यों की भागीदारी 32 प्रतिशत से बढ़कर 42 प्रतिशत हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि 2015-16 के दौरान राज्यों को केंद्र से जो मदद मिली, वह 2014-15 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। प्रधानमंत्री ने शिक्षा पर भी बात की और कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों में उत्सुकता जगाना होना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इसके (शिक्षा) जरिये बच्चों को ज्ञान अर्जित करना और उसमें वृद्धि करने के बारे में बताया जाना चाहिए। इसके जरिये बच्चों को निरंतर सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।”
(आईएएनएस)